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तत्त्वार्थ सूत्र
अध्याय-३
अधो व मध्य लोक
द सरे अध्याय में जीव के लक्षणों का तथा चार जीव-गतियों -
नारक, मनुष्य, तिर्यच ओर देव - का उल्लेख करने के उपरान्त इस अध्याय में अधो और मध्य लोक में निवास करने वाले प्रथम तीन गतियों के जीवों का वर्णन किया जा रहा है।
अधो-लोक • रत्नशर्कराबालुकापङ्कधूमतमो महातम:प्रभाभूमयोघनाम्बु वाताकाश
प्रतिष्ठा: सप्ताधोऽधः पृथुतरा: ।।१।।
• तासु नरका: ।।२।।
रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, बालुकाप्रभा, पडूकप्रभा, धूमप्रभा, तमःप्रभा, एवं
महातमःप्रभा - ये सात भूमियाँ हैं। ये भूमियाँ धनाम्बु, वात और आकाश पर स्थित हैं, एक दूसरी के नीचे हैं तथा नीचे की ओर अधिक अधिक विस्तीर्ण हैं। उन भूमियों में नरक हैं। (१-२)
नित्याशुभतरलेश्यापरिणामदेहवेदनाविक्रिया: ।।३।। वे नरक नित्य (निरन्तर) अशुभतर लेश्या, परिणाम, देह, वेदना, ओर
विक्रिया वाले हैं।
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