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32 : तत्त्वार्थसूत्र : जीव-तत्त्व
• परं परं सूक्ष्मम् ।।३८।। (ये शरीर) आगे आगे के पूर्व पूर्व से सूक्ष्मतर हैं .. यथा वेक्रिय शरीर
औदारिक शरीर से सूक्ष्म; आहारक शरीर वेक्रिय शरीर से सूक्ष्म आदि। (३८)
• प्रदेशतोऽसंख्येयगुण प्राक् तैजसात् ।। ३९ । । तेजसू के पूर्ववर्ती तीन शरीरों में पूर्व पूर्व की अपक्षा उत्तर उत्तर
शरीर प्रदेशतः असंख्यात गुणा होता है। (३९) तथा
• अनन्तगुणे परे । । ४०।। परवर्ती दो शरीर - तेजस ओर कार्मण - प्रदेशत: अनन्त गुणा होते
हैं। (४०)
• अप्रतिघाते ।। ४१ । । ये दोनों शरीर अप्रतिघाती (अप्रतिहत या बिना किसी रुकावट के)
होते हैं। (४१)
• अनादिसम्बन्दे च ।। ४२।। इनका (आत्मा के साथ) अनादि सम्बन्ध होता है। (४२)
• सर्वस्य ।।४३।। ये शरीर सभी संसारी जीवों के होते हैं।
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