________________
30 : तत्त्वार्थसूत्र : जीव-तत्त्व
• सचित्तशीतसंवृता: सेतरामिश्राश्चैकशस्तद्योन्य: ।।३३।। योनियाँ नौ हैं - १. सचित्त, २. शीत, ३. संवृत, (तीन इनके
विपरीत या) ४. अचित्त, ५. उष्ण, ६. विवृत, (तीन मिश्र योनियाँ अर्थात्) ७. सचित्ताचित्त, ८. शीतोष्ण एवं ६. संवृतविवृत । (३३)
• जराय्वण्डपोतजानाम् गर्भ: ।। ३४।। .. जरायुज, अण्डज और पोतज प्राणियों का गर्भ-जन्म होता है। (३४)
• नारकदेवानामुपपात: ।। ३५।। नारक ओर देवों का उपपात जन्म होता है। (३५) तथा
• शेषाणाम् सम्मूर्छनम् ।।३६।। शेष प्राणियों का सम्मूर्छन जन्म होता है (३६)
शरीर • औदारिकवैकियाऽऽहारकतैजसकार्मणानिशरीराणि । ३७।।
शरीर पाँच प्रकार के हैं .. औदारिक, वेक्रिय, आहारक, तेजस, ओर
कार्मण। (३७)
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org