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24 : तत्त्वार्थसूत्र : जीव-तत्त्व
• संसारिणस्त्रसस्थावराः । । १२ ।
वे स्थावर और त्रस भी होते हैं । (१२)
• पृथिव्याम्बुवनस्पतयः स्थावराः । ।१३।।
पृथिवीकाय, अप्काय, तथा वनस्पतिकाय के जीव स्थावर जीव हैं । (१३) तथा
• तेजोवायू द्विन्द्रियादयश्च त्रसाः । । १४ ।
तेजस्काय, वायुकाय एवं द्वीन्द्रियादि ( द्वीन्द्रियए त्रीन्द्रिय, चतुरेन्द्रिय तथा पंचेन्द्रिय) जीव त्रस जीव हैं ।
इन्द्रियाँ
• पञ्चेन्द्रियाणि ( १५
इन्द्रियाँ पाँच हैं (१५)
• द्विविधानि ।।१६।।
प्रत्येक इन्द्रिय दो प्रकार की है द्रव्येन्द्रिय और भावेन्द्रिय । (१६)
• निर्वृत्त्युपकरणे द्रव्येन्द्रियम् ।।१७।।
द्रव्येन्द्रिय निर्वृत्ति ( बाह्य रूप रचना से) तथा उपकरण ( आन्तरिक कार्य रचना से) रूप होती हैं । ( १७ )
लक्युपयोगौ भावेन्द्रियम् ।।१८।।
भावेन्द्रिय लब्धि ( मतिज्ञानावरणीय कर्म आदि के क्षयोपशम से प्राप्त इन्द्रिय-शक्ति) व उपयोग (निर्वृत्ति, उपकरण व लब्धि से प्राप्त रूपादि विषयों का सामान्य व विशेष बोध) रूप होती हैं । (१८)
• उपयोग: स्पर्शादिषु ।।१९।।
उपयोग स्पर्श आदि ( रस, गन्ध, श्रोत्र व चक्षुर) में होता है । (१६)
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