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6 : तत्त्वार्थ सूत्र : मोक्ष-मार्ग
सम्यग्ज्ञान - • मतिश्रुताऽवधिमन: पर्यायकेवलानि ज्ञानम् ।।९।। मतिज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधिज्ञान, मनःपर्यायज्ञान व केवलज्ञान (सम्यक्)
ज्ञान (के प्रकार) हैं। (६)
• तत् प्रमाणम् ।।१०।। वे (पाँचों ज्ञान) प्रमाण हैं। (१०)
• आद्ये परोक्षम् ।।११।।। आदि के (दो ज्ञान - मति और श्रुत-ज्ञान इंद्रियों के माध्यम से होने
से) परोक्ष-ज्ञान हैं। (११)
• प्रत्यक्षमन्यत् ।।१२।। अन्य (तीन ज्ञान - अवधि, मनःपर्याय और केवल) ज्ञान या प्रमाण
(अतीन्द्रिय होने के कारण) प्रत्यक्ष माने गए हैं। (१२)
• मति: स्मृति: संज्ञा-चिन्ताऽभिनिबोधइत्यनर्थान्तरम् ।।१३।। मति, स्मृति, संज्ञा, और अभिनिबोध - ये सभी मतिज्ञान के ही
पर्यायवाची हैं, इनके अभिप्राय/अर्थ में कोई अन्तर नहीं है अर्थात् ये सभी इंद्रियों के द्वारा होने वाले ज्ञान के ही समानार्थक हैं। (१३)
• तदिन्द्रियानिन्द्रियनिमित्तम् ।।१४।। वह (मतिज्ञान) इन्द्रिय व अनिन्द्रिय (मनस् या मस्तिष्क) के निमित्त से
होता है। (१४)
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