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4 : तत्त्वार्थ सूत्र : मोक्ष-मार्ग
तत्त्वार्थ - • जीवाजीवाश्रवबन्धसंवरनिर्जरामोक्षास्तत्त्वम् ।।४।। १. जीव, २. अजीव, ३. आश्रव, ४, बंध, ५. संवर, ६. निर्जरा,
और ७. मोक्ष (ये सात) तत्त्व हैं। (४)
• नामस्थापनाद्रव्यभावतस्तन्न्यासः ।।५।।
नाम, स्थापना, द्रव्य तथा भाव से इन (सात तत्त्वा) तथा उन
(सम्यग्दर्शनादि) का न्यास/निक्षेप अर्थात् विभाजन/विभाग किया जाता है। (५)
• प्रमाणनयैरधिगमः ।।६।।
प्रमाण और नयों से (तत्त्वादि का विस्तृत) ज्ञान प्राप्त होता है। (६)
• निर्देशस्वामित्वसाधनाधिकरणस्थितिविधानत: ।।७।। सम्यग्दर्शनादि का विस्तृत व सांगोपांग ज्ञान १. निर्देश, २. स्वामित्व,
३. साधन, ४. अधिकरण, ५. स्थिति और ६. विधान के द्वारा होता है। (७)
• सत्संख्याक्षेत्रस्पर्शनकालान्तरभावाल्पबहुत्वैश्च ।।८।।
तथा ७. सत, ८. संख्या, ६. क्षेत्र, १०. स्पर्शन, ११. काल, १२.
अन्तर, १३.भाव, और १४. अल्पबहुत्व के द्वारा भी होता है। (८)
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