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तत्त्वार्थ सूत्र
अध्याय-१
मोक्ष-मार्ग
TU भी प्राणी सुख चाहते हैं । सुख दो प्रकार के हैं - भौतिक व । आध्यात्मिक । यह अनुभव सिद्ध है कि भौतिक सुख अस्थाई
होता है तथा आध्यात्मिक सुख स्थाई । इसीलिये सृष्टि की श्रेष्ठ कृति - मानव भौतिकता को छोड़कर आध्यात्मिक साधना की ओर प्रवृत्त होता है । आध्यात्मिक साधना और सुख के चरम पर है मोक्ष। यह अध्याय इसी मोक्ष की प्राप्ति के मार्ग का कथन करता है।
मोक्ष-मार्ग - • सम्यग्दर्शनज्ञानचारित्राणिमोक्षमार्ग: ।।१।। सम्यग्दृष्टि, सम्यग्ज्ञान और सम्यक्चारित्र ही मोक्ष (कर्म-बंधनों से
छुटकारा) प्राप्ति का मार्ग हैं। (१)
सम्यग्दर्शन - • तत्त्वार्थश्रद्धानम् सम्यग्दर्शनम् ।।२।। तत्त्वार्थों (मौलिक पदार्थों) व उनके अर्थों में निश्चयपूर्वक श्रद्धा रखना
ही सम्यग्दर्शन है। (२)
• तनिसर्गादधिगमाद्वा ।।३।। यह (सम्यग्दर्शन) स्वाभाविक रूप से अथवा अन्य निमित्त से प्राप्त
होता है। प्रथम निसर्गज (स्वाभाविक या प्राकृतिक रूप से उत्पन्न) सम्यग्दर्शन कहलाता है तथा दूसरा अधिगमज (साधना या गुरुगम से प्राप्त) सम्यग्दर्शन कहलाता है। (३)
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