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156 : तत्त्वार्थ सूत्र : संवर व निर्जरा
• पुलाक - जिनोपदिष्ट आगमों पर दृढ़ साधक।
• बकुश - श्रमणाचार के सम्यक पालक किंतु शरीर-विभूषा का
त्याग नहीं करने वाले साधक ।
• कुशील - कषाय व इंद्रिय सेवनार्थ चारित्र विराधक साधक।
• निग्रंथ - ऐसे साधक जिनको कषाय व राग-द्वेष नष्ट होकर
केवलज्ञान प्राप्त होने ही वाला हो।
• स्नातक - सयोगी केवली निग्रंथ। .
साध्या:
• संयमश्रुतप्रतिसेवनातीर्थलिंगलेश्योपपातस्थानविकल्पत:
।।४९।। निर्ग्रन्थों का विचार संयम, श्रुत, प्रतिसेवना-विराधना, तीर्थ, लिंग,
लेश्या, उपपात, व स्थान के आधार पर होता है। (४६)
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