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84 : तत्त्वार्थ सूत्र : अजीव तत्त्व
गुण व परिवर्तन
द्रव्याश्रया निर्गुणा गुणा: ।। ४० ।।
गुण द्रव्याश्रित द्रव्य में निवास करने वाले किन्तु स्वयं निगुण होते हो अर्थात् गुणों के आश्रित गुण नहीं होते हैं । (४०)
• तद्भावः परिणामः । । ४१ । ।
• अनादिरादिमांश्च ।।४२।।
• रूपिष्वादिमान् ( ( ४३ ।।
• योगोपयोगौ जीवेषु ।। ४४ । ।
उसके (गुण के) होने से ही ( द्रव्य का) परिणमन, अवस्थान्तर या पर्याय- परिवर्तन होता है । (परिणाम) अनादि व आदिमान दो प्रकार का होता है। रूपी पदा (पुलों) में वह (परिमि) आदिमान है। जीवों में योग आदिमान और उपयोग अनादि हो । (४१-४४)
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