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________________ दृष्टिका अधिकार ५३५ समनका गुण णी शीर्ष समान जो ताके अनंतरि उपरितन स्थितिका निषेक तामें अधिक करना । ऐसें प्रथम समयका गुणश्र णिशीर्षतैं द्वितीय समयका गुणश्र ेणिशीर्षका दृश्य द्रव्य साधिक ही है 1 स । ३ । १२ - १६ ७ । ख । १७ । २ भया ताके जाननेके अर्थि उपरि दूसरी कभी लीक [] करी । ऐसें ही पूर्वतें उत्तर गुणश्र ेणिशीर्ष साधिक है । इहां ए संदृष्टि कही हैं तिनका स्वरूप पूर्वे होय आया है तातें इहां न कहया है । बहुरि अवस्थित गुणश्र ेण्यायाम अंतर्मुहूर्तमात्र ऐसा २२ ताकौं संख्यात ऐसा ( ४ ) ताका भाग दीए बहुभाग ऐसा २२ ३ अर गलितावशेष गुणश्र ेणि आयामविषै गुणश्र णिशीर्ष ऐसा ४ १ - इहां एक साधिकपना आगे था इतना यहु और साधिक व ८ - । ९६ - व ८ २ २ ताका असंख्यातवां भाग एसा २२ ताके ऊपर द्विचरम फालि कांडकतें नीचें अवशेष रहे ४ ४ । ४ निषेक ऐसें २२ ।४ । ४ । ४ इनको मिलाये चरम कांडक आयामका प्रमाण हो है । सो याकी प्रथम फालिका पतन समयतें लगाय द्विचरम फालिका पतन समय पर्यन्त फालि द्रव्य वा अपकर्षण कीया द्रव्य तीन पर्वनिविषै देना । तहां अंतकांडककी प्रथम फालिका पतन समयविषै जो गलितावशेष गुणश्र ेणि आयाम आरंभ्या ताका शीर्ष पर्यन्त प्रथम पर्व, ताके ऊपरि पूर्व जो अवस्थित गुणणि आयाम था ताका शीर्ष पर्यन्त द्वितीय पर्व ताके उपरि उपरितन स्थितिका अंत निषेक पर्यन्त तृतीय पर्वं तहां सम्यक्त्व मोहनीका द्रव्यविषै पूर्वे गले निषेकनिका द्रव्य ताके असंख्यातवै भागमात्र घटाऐं किंचिदून द्वयधं गुणहानि गुणित समयप्रबद्धमात्र चरम कांडकका द्रव्य ऐसा स । । १२ - याक असंख्यातकरि भाजित अपकर्षण भागहारका भाग दीयें एक भाग ७ । ख । १७ ऐसा स । ३ । १२ – याकौं पल्यके असंख्यातवां भागका भाग देइ बहुभाग ऐसे स । १२ – प ७ । ख । १७ । ओ a a ७ । ख । १७ । ओ प १० aa प्रथम पर्वविषे असंख्यातगुणा क्रमकरि देना । तहां याकौं अंक संदृष्टिकरि पिच्यासीका भाग देइ maar गुणे प्रथम निषेक, च्यारि सोलहकरि गुणें मध्य निषेक चौंसठिकरि गुणें अंत निषेक हो है । बहुरि ताका एक भाग ऐसा स । ३ । १२ - ताकौं पल्यका असंख्यातवां भागका भाग ७ । ख | १७ | ओ । प aa बहुभाग ऐसा स || १२ - द्वितीय पर्व विषै हीन क्रमकरि देना । तहां याकौं गच्छ a ७ । भ । १७ । ओ । प । प a a a संख्यातकी सहनानी च्यारिकरि गुणित अंतर्मुहुर्त मात्र ऐसा २२ ।४ ताका अर एक घाटि Jain Education International १ For Private & Personal Use Only १० www.jainelibrary.org
SR No.001606
Book TitleLabdhisar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherParamshrut Prabhavak Mandal
Publication Year1980
Total Pages744
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, Karma, & Samyaktva
File Size15 MB
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