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अध्याय 4
4. अर्थाधिकार : भाष्यगाथा संख्या
11.
पंच य तिण्णि य दो छक्क चउक्क तिण्णि तिण्णि एक्का य।
चत्तारि य तिण्णि उभे पंच य एक्कं तह य छक्कं।
panca ya tiņņi ya do chakka caukka tiņņi tiņņi ekkā yal
cattāri ya tiņņi ubhe panca ya ekkaṁ taha ya chakkaṁ//
पंच च त्रीणि च द्वौ षट्क, चतुष्कं, त्रीणि त्रीणि एका च । चत्तारि च त्रीणि उभये पंच च एकं तथा च षट्कं ।
12.
तिण्णि य चउरो तह दुग चत्तारि च होंति चउक्कं च। दो पंचेव य एक्का अण्णा एक्का य दस दो य।।
tiņņi ya cauro taha duga cattāri ya honti caukkaṁ cal
do panceva ya ekkā aṇņā ekkā ya dasa do ya//
त्रीणि च चतस्रः तथा च द्विकं भवन्ति च चतुष्कं च।
द्वौ पंचैव च एका अन्या एका च दश द्वौ च ।।
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