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________________ विषय-सूची आर्त्त - रौद्रका ध्यानका स्वरूप और उसके त्यागका उपदेश धर्मध्यान और शुक्लध्यानका वर्णन निर्माल्य भक्षणके दोषोंका वर्णन रत्नत्रय धर्मका विस्तृत वर्णन व्यवहार रत्नत्रयके बिना निश्चय रत्नत्रय सम्भव नहीं चारों कपायोंके दोष बतलाकर उनके त्यागका उपदेश मैत्री प्रमोद आदि भावनाओंका वर्णन पंचेन्द्रिय विषयोंके दोष बताकर उनके त्यागका उपदेश समाधिमरणका निरुपण ग्रन्थकार की प्रशस्ति और अपनी लघुताका निरूपण किशनसिंह कृत क्रियाकोष मंगलाचरण राजगृह नगरी और राजा श्रेणिकका वर्णन वनपालके द्वारा श्री वर्द्धमानक समवशरण आनेका श्रेणिकसे कथन श्रेणिकका समवशरण में गमन और भगवानका स्तवन गौतम स्वामीसे श्रावककी त्रेपन क्रियाओंके वर्णन की प्रार्थना आठ मूल गुणों का वर्णन बाईस अभक्ष्यों का वर्णन और उनके त्यागका उपदेश द्विदल भोजनके दोष बताकर उसके त्यागका उपदेश कांजी भक्षणका निषेध गोरस मर्यादाका कथन चर्माश्रित वस्तु दोष वर्णन सात स्थानोंपर चन्दोवा लगानेका विधान रात में पिसे चून आदिके त्यागका उपदेश अचार मुरब्बा आदिके दोष बताकर उनके त्यागका उपदेश चौकेके भीतर भोजन करनेका विधान रजस्वला स्त्रीकी क्रियाका वर्णन अहिंसा व्रतका स्वरूप अहिंसा व्रत अतीचारोंका वर्णन सत्याणुत्रतका स्वरूप और उसके अतीचारोंका वर्णन अणुव्रतका स्वरूप और उसके अतीचारोंका वर्णन ब्रह्मचर्याणुव्रतका स्वरूप और शीलकी नवबाड़ों का वर्णन ब्रह्मचर्याणुव्रत के अतीचारोंका वर्णन परिग्रह परिमाण अणुव्रत और उनके अतीचारोंका वर्णन दिग्विरति गुणवतका स्वरूप और उसके अतीचारोंका वर्णन Jain Education International For Private & Personal Use Only १३ ܘܕ १०० १०१ १०२ १०३ १०४ १०४ १०५ १०५ १०७-१११ ११२-२३९ ११२ ११२ ११३ ११४ ११५ ११५ ११६ ११८ ११९ ११९ ५२० १२२ १२३ १२३ १२४ १२५ १२७ १२८ १२९ १३० १३१ १३२ १३३ १३४ www.jainelibrary.org
SR No.001555
Book TitleSharavkachar Sangraha Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1998
Total Pages420
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Achar, & Religion
File Size23 MB
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