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________________ ( २ ) पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध-पाठ शुद्ध-पाठ पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध-पाठ शुद्ध-पाठ १०५ २० अनुमोदन्त अनुमोदनासे १३८ ११ पद्धतिके पद्धतिका १०५ ३४ मनसे वचनसे १४३ १९ पिण्डस्य पिण्डस्थ १०५ ३. और न और १४४ २५ सोमदेवके सोमदेवने १०६ ३४ बुढ़े है कि है कि जब बुढ़ापा । १४५ ६ धस्वाणारा घर-वावारा जब पा १४५ ७ झाणलियस्स झाणट्टियस्स ११० १ योदश त्रयोदश १४५ २३ विचार करनेमें विचार कर जाप ११० २७ ग्राममेकं ग्रासमेकं करने में ११३ १० चालित चलित १४६ १७ मत बोलो क्रिया मत करो, मुझसे कुछ मत बोलो ११३ १० खीलन लीलन १४७ १ -रत्नोंपर पत्रोंपर ११४ १९ निमित्त निमित्तक १४८ ९ शुद्धि करने । शुद्धि करके ११४ २१ निमित्तिक निमित्तक १४९ १४ भुङ्गे भुङ्क्ते ११६ २४ २० स्तपन २०अ. स्तपन १५४ २९ जकारके । लकारके १३२ १७ श्लोकोंसे श्लोकसे १५६ २ पाठमें पाठका १३६ ६ लिए लिए आज्ञा १५६ ३ इस प्रकार परिशिष्टमें १३७ ६ यहां यहां पूजा १५६ २२ जिनपर जिनवर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001554
Book TitleSharavkachar Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1998
Total Pages598
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Ethics
File Size13 MB
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