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________________ सिक्खावयं च तिदियं सिग्घं लाहालाहें सिज्झइ तइयम्मि भवे सिद्धसरूवं झायइ सिद्धं सरूवरूवं सिद्धा संसारत्था सियकिरण-विप्फुरतं सिरहाणुब्वदृणगंधमल्ल सिररेह भिण्णणं सिल्ला रस - अयरु - मीसिय सिस्सो तस्स जिणागम सिस्सो तस्स जिणिदसासण सीदुहवाउपिउल सुइ अमलो वरवण्णो सुकुल सुरूव सुलक्खण सुण अयारपुरओ सुदाणेण य लब्भइ सुरवइतिरीडमणिकिरण सुरसार जसु णिक्कमणि सुडो सूरतविणा सुहियउ हुवउ ण कोवि इह सुहमा अवाग विसया सुसारउ मणुयत्तणहं सेसा जे वे भावा सोऊण किपि सद्द सो कह सयणो भण्णइ सो दायव्वो पत्ते सोलदल-कमलमज्झे सोलस- सरेहि वेढहु सोलह दलेसु सोलह सोवण्ण-रुप्पि - मेहिय सो सो सो बंधू सोहम्माइसु जायइ संकाइदोस रहिओ संकाय अट्ठट्टे मय Jain Education International स्वामिका ० ६० वसुनं० ३०५ ५३९ २७८ 19 भावसं० २४९ वसुनं० ११ ४५९ २९३ संपत्त बोहिलाह 33 भावसं० ११४ संभूसिळण चंदद्ध १२७ "" वसुनं० प्र० ५४३ " रयण० भावसं ० "1 गाथानुक्रमणिका 23 भावसं ० " ५४२ २२ ६० रयण ० २० वसुनं० ४६५ भावसं० १४२ वसुनं • १ सावय० १६९ रयण० ६५ हय-गय-गोदाणाड़ हय-गय-सुणहहं हरमाणो परदव्वं सावय० १५३ वसुनं० २५ हरिकणं परस्स घण सावय० ४ "7 सावय ० संगचाउ जे कराह जिय संगें मज्जामिसरयहं संघहं दिण्णु ण चउविहहं संजमु सोल सउच्च तउ संझहि तिहि सामाइयउ सणासेण मरतह संथार-सोहणेहि वसुनं० ४९५ ५१ २० संवेओ णिव्वेओ भावसं० २३१ वसुनं० १२१ भावसं० २१५ हा मणुभवें उपज्जिळण १७८ हा मुयह मं मा पहरह ९५ ९६ १०२ वसुनं० ४३३ भावसं० २१६ संसार-चक्कवाले संसारत्था दुविहा संसारम्मि अणतं 1. हरि - रइय- समवसरणो हलुवारंभहिं मणुयगइ हवइ चउत्थं झाणं हारिउ ते धणु अप्पणउं हा हा कय णिल्लोए हिंडाविज्जइ टिंटे हिद- मिद-वयणं भासदि हियकमलिणि ससहर हिय-मिय-पुज्जं हिय-मियमण्णं पाणं हिंगु धिय तेल सलिलं For Private & Personal Use Only * सावय० ७५ २९ १५८ ७ 37 " " ६८ 12 वसुनं० २०७ भावसं० ६३६ वसुनं० ३९९ लाटी० (उक्त) २.१८ ४९ धर्मोप० (उक्तं) १.१ " भावसं० ५४ वसुनं० १२ १०० " भावसं० १७६ सावय० ८२ वसुनं० १०६ १०२ "" भावसं० २६ सावय० १६३ भावसं० १३ वसुनं० १९३ १४९ " सावय० ८४ वसुनं० १९६ १०७ ३३ 11 स्वामिका० सावय० २१३ वसुनं० ३२७ रयण० २३ धर्मेप० (उक्त) ३, ८ www.jainelibrary.org
SR No.001554
Book TitleSharavkachar Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1998
Total Pages598
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Ethics
File Size13 MB
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