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श्रावकाचार-संग्रह
जं दिज्जइ तं पावियइ गं दुष्परिणामाओ जं परिमाणं कीरइ जं परिमाणं कीरदि जं पुणुवि णिरालंब जंबीर-मोच-दाडिम जंबूदीउ समोसरणु जंबूदीवे भरहे जं रयणत्तय-रहियं जं वजिज्जइ हरियं जं सक्कइ तं कीरइ जं सवणं सत्थाणं जं सुद्धो तं अप्पा
झाणं झाऊण पुणो झाणाणं संतार्ण झाणेहिं तेहिं पायं झुणि अक्खिय संपुण्णहल
सावय० ९२ णय को वि देदि लच्छो स्वामिका. १८ वसुन० ३२६ प य देइ णेव भुंजइ
भावसं० २०९ , २१३ ण य भुंजइ आहार
वसुनं० ६८ वस्तु २१७ णय-सुर-सेहर-मणि-किरण सावय० २२३ स्वामिका० ४१ वि जाणइ कज्जमकज्ज रयण. ३७ भावसं० ३२ णवि जाणइ जोग्गमजोग्ग रयण. ३८ वसुनं० ४४० ण लहंति फलं गरुयं
भावसं० २०१ सावय० २०२ णवकारेप्पिणु पंच गुरुं सावय० १ लाटी० (उक्त) १.८ णवमासाउगि सेसे
वसुनं० २६४ भावसं० १८१ णह-दंत-सिर-हारु . भावसं० ५९
वसुनं० १९५ नहि जेसि पडिखलणं लाटी० (उक्त) ४.२७ लाटी० (उक्त) २.१९ ण हि दाणं गहि पूजा
रयण० ३६ स्वामिका० ४७ ण ह दडइ कोहाइ भावसं० ८३ ण ह विग्गासिय कमलदलु सावय० २१२ णाऊण तस्स दोसं
भावसं० १९७ णाणी खवेइ कम्म
रयण• ६१ भावसं० १३२ णाणुग्गम्मि जसु समवसरण सावय० १७० " ३८ णाणे णाणुवयरणे
वसुनं० ३२२ णाणंतरायदसयं सावय० १७८
णामट्ठवणादब्वे णावा जह सच्छिद्दा
भावसं० १९९ णासइ धणु तसु धर-तणउ सावय० ६२ वसुनं० ५४ णासावयारदोसेण
वसुनं० १३० णिच्चं पलायमाणो
णिज्जिय दोसं देवं स्वामिका० १६ सावय० १२९ णिठुर-कक्कस-वयणाई वसुनं० २३०
णिद्दा तहा विसाओ
णिद्देस सामित्त वसुनं० ६३
णिद्धण-मणुयहं कटुडा सावय० ११४
णियम-विहूणहं णिट्ठडिय भावसं० १३१
णिययं पि सुर्य बहिणि वसुनं० ७५ णियसुद्धप्पणुरत्तो
रयण० ६ , २०९ णिव्विदिगिच्छो राओ वसुनं० ५३ रयण. १ णिसिळण णमो अरहताणं ,, ३९ निसुणंतो थोत्तसएं
भावसं० ६५ वसुनं ११५ णिस्ससइ रुयइ गायइ वसुनं० ११३
,, "
५२५ ३८१
ठिदियरण गुणपउत्तो
ढिल्लउ होइ मड़ दियहं
, १०४
,
२७
ण गणेइ इट्टमित्तं ण गणेइ मायवप्पं पट्टचउघाइकम्म णट्ठट्ठकम्मखंधो णत्थि वय-सील-संजमं णमिऊण वड्ढमाणं ण मुणइ इय जो पुरिसो ग य कत्थइ कुणइ रइ
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