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श्रीचन्दन आदि द्रव्योंसे पूजन करनेका विधान इक्कीस प्रकारवाली पूजाका वर्णन
शान्ति आदि विशिष्ट कार्योंके लिए विशिष्ट वर्णके वस्त्र पहिन करके पूजन करनेका विधान
जिन-पूजन महान पुण्योपार्जनका कारण है आवाहन आदि पंचोपचारी पूजन करनेका विधान स्पृश्य शूद्रोंके द्वारा ही मन्दिर निर्माण करानेका विधान
श्रावकाचार संग्रह
पंचामृत से अभिषेक और अष्ट द्रव्योंसे पूजन करनेका विवान नामादि चार निक्षेपरूप पूजनका वर्णन गुरूपास्तिका वर्णन और गुरुका स्वरूप स्वाध्याय आदि शेष कर्तव्योंका निरूपण तपके १२ भेदोंका वर्णन दानका विस्तृत निरूपण सम्यग्ज्ञानकी उपासनाका निरूपण सम्यक्चारित्रकी उपासनाका निरूपण
विकलचारित्रका निरूपण
मद्य, मांस और मधु-भक्षणके त्यागका सयुक्तिक वर्णन
नवनीत एवं पंच उदुम्बर फलोंके भक्षणका निषेध
अगालित जल, द्विदल अन्न एवं अथाना आदिके भक्षणका निषेध
रात्रि भोजनके दोषोंका वर्णन
पंच अणुव्रतोंका वर्णन
तीन गुणव्रतों का वर्णन चार शिक्षाव्रतोंका वर्णन
सल्लेखनाका वर्णन
सदा व्यसनोंके त्यागका उपदेश
वृद्ध पुरुषोंकी सेवा आदि सत्कार्योंके करनेका उपदेश
१७. श्री पूज्यपाद श्रावकाचार
सत्यार्थदेवका स्वरूप
सम्यक्त्वका स्वरूप और माहात्म्य वर्णन
अष्ट मूलगुणोंका निरूपण
पंच अणुव्रतोंका तथा सप्त शीलव्रतोंका निरूपण
सप्त व्यसनोंके त्यागका एवं कन्दमूलादि अभक्ष्य पदार्थोंके भक्षणका निषेध
मौन धारण करने और चतुविध दान देनेका उपदेश दानके महान् फलका वर्णन
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