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________________ -12! : १-११९] परमप्प-पयासु 111) जोइज्जइ ति बंभु परु जाणिज्जइ ति सोई। बंभु मुणेविणु जेण लहु गम्मिज्जइ परलोइ ।।१०९।। 111) मुणि-वर-विदह हरि-हरहूँ जो मणि णिवस देउ । परह जि परतरु णाणमउ सो वुच्चइ पर-लोउ ।।११०॥ 113) सो पर वुच्चइ लोउ परु जसु मइ तित्थु वसेइ । जहिं मइ तहिँ गइ जीवह जि णियमें जेण हवेइ ॥१११॥ 114) जहिं मइ तहिँ गइ जीव तुहुँ मरणु वि जेण लहेहि । ते परबंभु मुएवि मइँ मा पर-दवि करेहि ॥११२।। 115) जं णियदव्वहँ भिण्णु जडतं पर-दव्वु वियाणि । पुग्गल धम्माधम्मु णहु कालु वि पंचमु जाणि ॥११३॥ 116) जइ णिविसङ्घ वि कु वि करइ परमप्पइ अणुराउ । अग्गि-कणी जिम कट्ठ-गिरी डहइ असेसु वि पाउ ॥११४।। 117) मेल्लिवि सयल अवक्खडी जिय णिच्चितउ होइ । चित्त णिवेसहि परम-पए देउ णिरंजणु जोइ ॥११॥ 118) जं सिव-दंसणि परम-सह पावहि झाण करंतु । तं सुहु भुवणि वि अत्थि णवि मेल्लिवि देउ अणंतु ॥११६।। 119) जं मुणि लहइ अणंत-सुहु णिय-अप्पा झायंतु । तं सुहु इंदु वि णवि लहइ देविहि कोडि रमंतु ॥११७।। 120) अप्पा-दंसणि जिणवरह जं सुहु होइ अणंतु । तं सुह लहइ विराउ जिउ जाणंतउ सिउ संतु ।।११८।। 121) जोइय णिय-मणि णिम्मलए पर दोसइ सिउ संतु । __ अंबरि णिम्मलि घण-रहिए भाणु जि जेम-फुरंतु ।।११९॥ 111) TKM ते बम्हु परु; C तव for ति, TKM ते सोइ; Brahmad va has an alternative reading पर for परु. 112) Wanting in TKM. 113) TKM बुज्झइ for वुच्चइ, परिवुच्चइ; TKM तेत्थु, जीवह वि. 111) TKM have no naral signs; c परदव्यु for °बंमु; TKM लहेइ and करेइ, पर बम्हु, दब्बे. ।।5) B अण्णु for भिण्ण, BTK पोग्गल, C पोग्गल 116) TK कोइ करइ णियअप्पए अणुराउ; TKM अग्गिकणि जेव, C जिव. 117) TKM मेल्लवि सयल: BC णिवेसिवि; C देव. 118) TKM पावइ, पावइ. झाण: TKM मेल्लवि. AC मिल्लिवि ।19) BCTKM अणंतु सुह; TKM देविहि कोडि. 120) Wanting in TKM: C मिव. for सिउ.121) Wanting in TKM; G णिम्मलइ, सिव. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001524
Book TitleParmatmaprakash
Original Sutra AuthorYogindudev
AuthorA N Upadhye
PublisherParamshrut Prabhavak Mandal
Publication Year1988
Total Pages182
LanguagePrakrit, Apabhramsha, English, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Spiritual
File Size13 MB
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