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ऋषिमण्डलस्तवयन्त्रालेखनम् नोंध:
श्री सिंहतिलकसूरिए रजू करेल आम्नायने मुख्यत्वे लक्ष्यमा राखी संस्था तरफथी ऋषिमंडलयन्त्र चार रंगमा अलग मुद्रित करवामां आव्युं छे अने तेनी एक एक नकल आ ग्रंथनी साथे आपवामां आवी छ । ते यन्त्रमा नीचे प्रणालिका अनुसार गणधरो, लब्धिओ, देवीओ, यक्षो, यक्षिणीओ आदिनां नाम लखेल छे ते अहीं परिशिष्ट रूपे छाप्यां छे । आमांथी जेनो जेनो प्रस्तुत कृतिमा उल्लेख आवे छे तेनो त्यां 5 त्यां निर्देश कर्यो छे।
परिशिष्ट १ अगियार गणधरो ५. सुधर्मा ६. मण्डितपुत्र ७. मौर्यपुत्र ८. अकम्पित
१. इन्द्रभूति २. अग्निभूति ३. वायुभूति ४. व्यक्त
९. अचलभ्राता १०. मेतार्य ११. प्रभास
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१. जिन २. अवधिजिन ३. परमावधिजिन ४. सर्वावधिजिन ५. अनन्तावधिजिन ६. कुष्ठबुद्धि ७. बीजबुद्धि ८. पदानुसार ९. आशीविष १०. दृष्टिविष ११. संभिन्नश्रोतः १२. स्वयंसंबुद्ध १३. प्रत्येकबुद्ध १४. बोधिबुद्ध १५. ऋजुमति १६. विपुलमति
परिशिष्ट २ अडताळीस लब्धिओ १७. दशपूर्वि १८. चतुर्दशपूर्वि १९. अष्टाङ्गनिमित्तकुशल २०. विकुर्वणर्द्धिप्राप्त २१. विद्याधर २२. चारणलब्धि २३. प्रश्न(प्रज्ञ)श्रमण २४. आकाशगामि २५. क्षीराश्रवि २६. सर्पिराश्रवि २७. मध्वाश्रवि २८. अमृताश्रवि २९. सिद्धायतन ३०. भगवन्महामहावीर
वर्धमानबुद्धर्षि ३१. उग्रतपः ३२. अक्षीणमहानसि
३३. वर्धमान ३४. दीप्ततपः ३५. तप्ततपः ३६. महातपः ३७. घोरतपः ३८. घोरगुण ३९. घोरपराक्रम ४०. घोरगुणब्रह्मचारि ४१. आमीषधिप्राप्त ४२. खेलौषधिप्राप्त ४३. जल्लौषधिप्राप्त ४४. विगुडौषधिप्राप्त ४५. सर्वोषधिप्राप्त ४६. मनोबलि ४७. वचनबलि ४८. कायबलि
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