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श्री सरस्वतीमहापूजन
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हाँ, ह्रीं, हूँ, ह्रौं, ह्रः । (आ न्यासथी आंगलीओ दैवी शक्तिथी विभूषित थई रही छे एम समजवू)
अंगन्यास
( ते पछी नीचे प्रमाणे अंगन्यास करवो) शिखास्थाने हाथ मूकतां- नमो अरिहंताणं हाँ शीर्ष रक्ष रक्ष स्वाहा ।। मुख उपर हाथ राखता- नमो सिद्धाणं ह्रीं वदनं रक्ष रक्ष स्वाहा ।। हृदय पर हाथ राखता- ॐ नमो आयरियाणं हूँ हृदयं रक्ष रक्ष स्वाहा ।। नाभि पर हाथ राखता- ॐ नमो उवज्झायाणं ह्रौं नाभिं रक्ष रक्ष स्वाहा।। बंने साथल पर हाथ राखतां- ॐ नमो लोए सव्वसाहूणं ह्रः पादौ रक्ष रक्ष स्वाहा ।।
रक्षाबंधन (पूजनमां बेसनार दरेकना हाथे नाडाछडी बांधवी, तेमां पूजन करावनार तथा उत्तरसाधकना हाथे पहेली बांधवी)
दिक्कुमारिकाओने तिलक (रक्तचंदन घसीने एक वाटकीमां उतारेखें होय ते जमणा हाथनी तर्जनी आंगली उपर लई नीचे प्रमाणे दिशाओनी सामे धरवाथी दिक्कुमारिकाओने तिलक थाय छे. प्रथम पूर्व-दक्षिण-पश्चिम-उत्तर पछी ईशान-अग्नि-नैऋत्य-वायव्य पछी अधो अने उर्ध्व. आ वखते हु ६ नमः ए मंत्र बोलवो.)
तिलकविधि श्री महावीरस्वामी भगवान तथा श्री सरस्वती देवीने दर्पण बतावी तेमां तेमनां दर्शन करी नमः बोलवापूर्वक पोताना कपालमां रक्तचंदननु तिलक करवू. पछी उत्तरसाधक तथा पूजनमां बेसनाराओने पण रक्तचंदननां तिलक करवा.
वायुकुमारने आह्वान Pा वातकुमाराय विघ्नविनाशकाय महीं पूतां कुरु कुरु स्वाहा ।। (आ मंत्र बोली दर्भना घासथी अथवा मोरनी पींछीथी भूमिर्नु प्रमार्जन करवू.)
(राग - बहाल, ताल - त्रिताल) आवो पधारो वायुदेवता, पवनदेवता आवो......
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