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सिरिअणंतजिणचरियं
काराविऊण जिणइंदमंदिराई गिरिंदरुंदाई । सूरीहिं पइट्ठावियमणिमयतित्थेसरे तेसु ॥ ९०७३ ॥ सिद्धंतपोत्थयाइं लिहाविउं पूईडं च सिरिसंघं । घोसाविउं अमारिं मोयाविय सव्वगुत्तिनरे ॥ ९०७४ ॥ आरुहिय रयणसिबियं दितो दाणाई दीणदुत्थाण । गुरुरिद्धीए गंतूण सुगुरुपासम्मि पव्वईओ ॥ ९०७५ ॥ अहिगयसुयसब्भावा पाउब्भूयपभूयसंवेगो । निम्मूलं उम्मूलिय घाइकम्मवसपत्तवरनाणो ॥ ९०७६ ॥ मुहुरस्सरसद्देसणपडिबोहियभूरिभव्वसंघाओ । संपत्तो सो सासयसोक्खसमिद्धीए सिद्धीए ॥ ९०७७ ॥ एयस्स वासपूया जह जाया सिद्धिसुक्खसंजणणी । तह अन्नस्स वि जायइ जइयव्वं ता सया तीए ॥ ९०७८ ॥ इय तिहुयणसामिअणंतनाहकहियम्मि अट्ठपूयफले । गुरुभत्तिपुलयकलिओ कयंबपरिमलमहीनाहो ॥ ९०७९ ॥ उल्लसियभत्तिपाउब्भवंतरोमंचअंचियसरीरो । मुत्ताहलथूलाणंदअंसुपव्वालियकवोलो ॥ ९०८० ॥ आबद्धपाणिपंकयकोसमविरायंतभालफलयग्गो । विन्नवइ नमिय नाहं पहु ! पूयट्ठगमहं काहं ॥ ९०८१ ॥ काउं कंठसिणाणं परिविरइयधोयपोत्तिपावरणो । मयपावरणो होहं पहु ! तं पूयइ तिसंझं पि ॥ ९०८२ ॥ इय अंगीकयअट्ठप्पयारजिणरायपूयणविहाणो । मन्नइ राया नियजम्मजीवियव्वाण सहलत्तं ॥ ९१८३ ॥ अवरो वि अमरनहयरनरनियरो वीयरायपूयाए । अंगीकरेइ नियमं सद्धापरिवद्धियाणंदो ॥ ९०८४ ॥ इत्थंतरम्मि उग्घाडपोरिसीसूयगो बली पत्तो । तो मुक्कदेसणो देवच्छंदए आगओ देवो || ९०८५ ॥
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