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________________ ६९१ गंधबंधुरकहा सुहसिविणसुईयसुयं कइया वि पसविया भुवणलच्छी । भुवणाभरणो त्ति कयं नामं सम्माणियजणं से ॥ ८८७८ ॥ बालत्तमइक्कंतो गाहियबावत्तरी कलो कुमरे । अच्चब्भुयरूवाओ विवाहिओ रायकन्नाओ ॥ ८८७९ ॥ समयंतरम्मि रज्जे भुवणाभरणं निवेसिउं राया । विहिय चउवरनाणी होउं पत्तो महाणंदं ॥ ८८८० ॥ नेवज्जेणं पूया जहा कया राइणा इमेण तहा । सासयसिवसुहकज्जे कज्जा अवरेण वि जणेण ॥ ८८८१ ॥ (वासपूयाए गंधबंधुरकहा) भुवणप्पमोयगनिवो कहिओ नेवज्जपूयमभिसरिउं ।। इण्हि तु वासपूयाए गंधबंधुरकहं भणिमो ॥ ८८८२ ॥ रम्मारामसरोवरपुक्खरिणिविरायमाणचउपासं । वसुहासारं नयरं समत्थिवित्थिन्नपायारं ॥ ८८८३ ॥ नहसन्निहफालिहगयणलग्गजिणहरसिरग्गमग्गठिओ । खणमेत्तं लक्खिज्जइ जम्मि रवीरयणकलसो व्व ॥ ८८८४ ॥ रयणियरकिरणसियकित्तिबंधुरो कित्तिबंधुरो नाम । फुरियप्पयावपसरो पयावई अत्थि तत्थ पुरे ॥ ८८८५ ॥ धरणिधररइयसेवो जो विणयाणंदकारओ दूरं । अहिजाइकयविणासो विरायए गरुडपक्खि व्व ॥ ८८८६ ॥ सव्वुत्तमपत्ताहियछाया परमालिया सुहप्पसवा । लइय व्व कित्तिलइया समत्थि रन्नो महादेवी ॥ ८८८७ ॥ तीयत्थि तणुत्थसुगंधबंधुरो गंधबंधुरो नाम । कुमरो अमरोवमरूवरम्मया रमणिमणहरणो ॥ ८८८८ ॥ सुकयासियवन्नधरं सिरं व उव्वहइ जो नियसरीरं । परमहसियगुणजुत्तं सुहमिवरयणाभरणजायं ॥ ८८८९ ॥ नरनाहमंडलेसरसामंतमहंतमंतिपुत्तेहिं । सययं सेविज्जतो कालं अइवाहइ कुमारो ॥ ८८९० ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001445
Book TitleAnanthnath Jina Chariyam
Original Sutra AuthorNemichandrasuri
AuthorJitendra B Shah, Rupendrakumar Pagariya
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1998
Total Pages778
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Literature, Story, N000, & N001
File Size10 MB
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