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________________ 107 कठण सेजमां आमथी तेम लोटती, भ्रमरवृंदना गुंजारवथी वींधाती, उद्विग्न निद्राहीन अनिमिष नयने रातभर जागती में अतिदुखणीए एक 'वस्तु', एक 'गाथा अने एक 'दूहो' रच्यां. (१४७) "अंधाराना ओधे ऊमटीने आकाशने दशे दिशाए छाई दीधुं छे. काळी मेध घटा ऊमटीने धोर धुरधुराट करी रही छे. नभ मार्गमां तरल नभोवल्ली (वीजळी) तडतडी रही छे. दादुरना ड्रांउ ड्राउनो रौद्र शब्द कोईनाथी सह्यो जतो नथी. निबिड निरंतर जलधरोनी धरा उपर पडती दुर्धर धाराओना भारने, हे पथिक, हुं केम करीने सहं ने तरु शिखर उपरथी कोकिल असह्य स्वरे टहुकी रह्यो छे ते पण हुं केम करीने सहुं.? (१४८) प्रावृषे आवीने धारासमूह वडे ग्रीष्मानलने ओलव्यो. पण आश्चर्य : मारा हृदयमांनो विरहानल तेना आववाथी तो ऊलटो अधिकतर प्रजवळी उठ्यो. (१४९) स्तब्ध स्तनो स्थूळ अश्रुबिंदुथी दाझे छे तेथी हे पथिक, जळबिंदुमाथीज उद्भवेला, गुणयुक्त, कंठस्थित मुक्ताहारनां मौकितको नथी लाजतां"(१५०) __ आ दूहानुं पठन करीने विरहखेदे अलस बनेली, अभिभूत थयेली, अति खिन्न अने मूर्छा परवश एवी मने स्वप्नांतरमा मारो चिर प्रोषित प्रियतम देखायो. अने तेने तरत ज ओळखी लईने में तेनो हाथ पकडीने आ प्रमाणे का : "घोर पणे गडगडता मेधोनी घटाथी छवायेली.आ ऋतुमां प्रियतमाने छोडीने जq शुंकुलीनोने छाजे छे? नव मेधमालाथी झळूबता नभमां प्रगटेल ईन्द्रचाप, रक्त दिशाविस्तार, मेधाच्छादित् अने तेथी आभासी लागतो चंद्र - आ बधांने लईने, हे प्रियतम, वर्षाकाळ असह्य बन्यो छे." (१५१-१५३), ने प्रेमथी एंधायेला कंठे हुं.स्वप्नमांथी जागी गई: क्या हुं ने क्यां प्रियतम? तत्क्षण हुं मरी नहीं, तो खरे ज हुं पाषाणी छु. मारो जीव नीकळी न गयो, केम के ते पापबंधमां जकडायेलो छे. हृदय पण केम फाटी न पड्यु? लागे छे के ते वजे घडेलुं छे. (१५४) झीणा स्वरे कणसती देडकीनी जेम में रात्रीना पाछला पहोरे असहाय बनीने करुण स्वरे आ दूहो कह्यो. (१५५): ___ "हे यामिनी, तारुं कलंक एवडुं छे के ते त्रण भुवनमां पण माय तेम नथी: दुःखमां तुं चोगणी थाय छे, पण सुखना संगमां क्षीण बनी जाय छे. (१५६) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001433
Book TitleSamdesarasaka of Abdala Rahamana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbdul Rahman
PublisherPrakrit Granth Parishad
Publication Year1999
Total Pages124
LanguageEnglish, Gujarati, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_English & Literature
File Size6 MB
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