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________________ 96 स्तनो खल संबंधीओनी जेवा स्तब्ध, कठण, गविष्ठ नित्य उन्नत (मोढुं ऊंचुं राखनारा) मुख-हित (वर्तुळ, वचनभंग करनारा) छे. संगम थतां स्वजननी जेम ए आंतरबाह्य शाता अर्पे छे. (३६) एनुं नाभिमंडळ पर्वतीय नदीना वमळ जेवू अने ऊंडुं छे. एनो मध्यप्रदेश मोना सुख जेवो तुच्छ, अने गतिनी चंचळतामा हरण समो छे. (३७) कदलीस्तंभनो पराजय करता तेना साथळ अतिशय रम्य छे. पीडी सरस गोळाकार, मनोहर, अतिशय दीर्ध नहीं एवी छे. (३८). चरणनी अंगुली पद्मराजि समी अने नखपंक्ति स्फटिकनी कटकी समी शोभे छे. कुसुमनी नळी परनी रोमराजी जेवी सूक्ष्म एनी रोमावली छे.(३९). शैलजाने सरजी तेनाथी पण विशेष सुंदर अंग विधाताए प्रगटाव्यां छे. कविओने कोण दोष दई शके, ज्यां विधाताए पोते ज सर्जनमा पुनरावर्तन कर्यु ? (४०) ' ए गाथाओ सांभळीने राजहंससमी गति वाळी ते लिज्जित बनीने चरणना अंगूठाथी भोंय खोतरवा लागी. पछी ते कनकांगीए पथिकने पूछ्युं, पथिक, तुं क्याथी आव्यो अने हवे क्यां जई रह्यो छे? (४१) (साम्बपुर-मूलस्थान) 'हे कमळनयना, चंद्रवदना, तुं प्रसन्न मने सांभळ. सामोर (साम्बपुर) नामर्नु नगर छे, एमां घणा नागरिको वसे छे. एनो श्वेत, ऊंचो प्राकार त्रिपुरथी सुशोभित छे. त्यां कोई पण मूर्ख जन नथी. बधा ज पंडित छे. (४२) तेमां प्रवासे नीकळनारो, विविध विचक्षणोनां जथो वडे गवाता मनोहर छंदो अने मधुरु प्राकृत सांभळे छे. क्यांक चतुर्वेदीओ वेदपाठ करे छे, क्यांक अनेक छंदोमां निबद्ध रासक गवाय छे.(४३). कोईक स्थाने सदवयत्सनी कथा के नलचरित कहेवाय छे. तो क्यांक अनेक विनोद साथे भारत, आख्यान थाय छे. कोईक स्थाने ब्राह्मणो दानीने आशिष आपे छे, तो क्यांक कविओ रामायण स्तवे छे.(४४) । ___केटलाक वांसळी, वीणा, काहला अने मुरज वगाडातुं सांभळे छे. तो क्यांक रमणीय पद अने वर्णमां निबद्ध गीतनो रख संभळाय छे. क्यांक पीन, उन्नत स्तन वाळी श्रवणनिपुण(?) नर्तिकाओ चल्लि नृत्य करती विचरी रही छे. (४५). विविध नटोना अपूर्व अभिनयो अने नाटको जोनारने विस्मित करे छे. वेश्यापाटकमां जे भमे छे. ते तो त्यांनां दश्य जोईने मूर्छित ज थई जाय छे. कोईक गजवरनी गति वाळी वेश्या मदविह्वळ बनीने भमे छे, तो बीजी कोईकना श्रवणे रत्नकुंडळ डोले छे. (४६) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001433
Book TitleSamdesarasaka of Abdala Rahamana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbdul Rahman
PublisherPrakrit Granth Parishad
Publication Year1999
Total Pages124
LanguageEnglish, Gujarati, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_English & Literature
File Size6 MB
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