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________________ तिलोयपण्णत में प्राप्ति ऋषभदेव की कुछ तिथियाँ २२९ ५-उपवास छ माह के उपवास के साथ बेला (२ उपवास) के दीक्षा ।२४ साथ दीक्षा ।२५ ६-मोक्षतिथि माधव गा चतुर्दशी माघकृष्णा त्रयोदशी भगवान ऋषभदेव के जीवन की उपर्युक्त घटनाओं में नवमी अथवा अष्टमी तथा चतुदं शी अथवा त्रयोदशी के सन्दर्भ ऐतिहासिक क्रम में अधिक बाधक नहीं है । क्यों कि एक तिथि के घटने बढने से भी यह अन्तर हो सकता है । किन्तु पारणा तिथि और मोक्षतिथि के सम्बन्ध में पूच्या आर्यिका विशुद्धमतिजी ने अपनी भूमिका में जो समस्याएं उपस्थित की हैं, वे जैन इतिहास के विद्वानों के लिये विचारणीय हैं । तिलोयपण्णत्ति से प्राप्त सन्दर्भो के आधार पर कुछ समस्याओं को यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है । १-पारणे की तिथि की समस्या तिलोयपण्णत्ति में उल्लेख है कि भगवान ऋषभदेव का प्रथम पारणा दीक्षा के एक वर्ष में इक्षुरस के द्वारा हुआ था ।" किसके द्वारा और किस तिथिको उन्हें यह इक्षुरस दिया गया इसका उल्लेख ग्रन्थ में नहीं है । किन्तु दिगम्बर परम्परा के परवर्ती ग्रन्थों में इस घटना का विकास हुआ है । जिनसेन ने अपने हरिवंश-पुराण में यह तो कहा है कि राजा श्रेयांस ने पूर्वजन्म की स्मृति के आधार पर भगवान ऋषभदेव को इक्षुरस पारणे के लिये प्रस्तुत किया २५ किन्तु किस तिथि को यह पारणा हुआ, इसका उल्लेख उन्होंने नहीं किया है । इतना संकेत अवश्य इस ग्रन्थ में हैं कि छह माह के अनशन के बाद ऋषभदेव आहार के लिये निकले एवं विधिपूर्वक आहार न मिलने पर लगातार छहमाह तक वे विहार करते रहे ।' अतः दीक्षा-तिथि से एक वर्ष बाद ही उन्हें इक्षुरस का आहार मिला, इसे जिनसेन ने भी स्वीकारा है। नवी शताब्दी तक के दिल जैन साहित्य में पारणा-तिथि का उल्लेख प्राप्त नहीं है। दसवी शताब्दी के अपभ्र श कवि पुष्पदन्त ने भी अपने महापुराण में यह उल्लेख किया है कि श्रेयांस ने भगवान ऋषभदेव को उनके उपवास का एक वर्ष बीत जाने Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001431
Book TitleJain Agam Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages330
LanguagePrakrit, Hindi, Enlgish, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & agam_related_articles
File Size18 MB
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