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________________ अटीरा, पी. आर. एल., ला.द. भारतीय संस्कृति विद्यामन्दिर, इन्डियन इन्स्टिट्यूट ऑफ मेनेजमेन्ट, स्कूल ऑफ आर्कि टेक्चर, नेशनल इन्स्टिट्यूट ऑफ डिजाइन और विक्रम साराभाई कम्युनिटी सेन्टर जैसी ख्यातिप्राप्त अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाएँ - अहमदाबाद में कैसे निर्मित हो सकती ! यह उद्योगपति कस्तूरभाई और युवा वैज्ञानिक डॉ. विक्रम साराभाई के संयुक्त स्वप्न की ही सिद्धि है। ___ भारतीय संस्कृति के प्रति उनके प्रेम का परिचायक है विश्वविद्यालय-संकुल में स्थित जहाज के रमणीय आकार में निर्मित ला.द. भारतीय संस्कृति विद्यामन्दिर जो सन् १९५५ में बनकर तैयार हुआ था और उसका उद्घाटन भारत के प्रथम प्रधान मन्त्री श्री जवाहरलाल नेहरु ने सन् १९६३ में किया था । मुनि श्री पुण्यविजयजी ने इस संस्था को १०,००० हस्तप्रतों एव ७००० पुस्तकों की अत्यन्त मूल्यवान भेट अर्पित की थी। आज इस संस्था के पास ३३,००० के प्रायः प्रकाशित ग्रन्थों एवं देश-विदेश की संशोधन पत्रिकाओं का एवं ७०,००० के प्रायः ताडपत्र और कागजकी पाण्डुलिपियों का संग्रह है। उसमें से दस हजार पाण्डुलिपियों की सूची केन्द्रीय सरकार की सहायता से एवं ७००० पाण्डुलिपियोंकी सूची गुजरात सरकारकी सहायता से प्रकाशित हो चुकी हैं। अद्यावधि इस संस्था की ओर से १२५ के लगभग ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं । ४८०० पाण्डुलिपियों की ट्रान्सपेरेन्सी एवं दो हजार मूल्यवान हस्तप्रतों की माइक्रोफिल्म भी कर ली गयी हैं । साथ ही साथ १००० से अधिक पुराने संशोधन पत्रिकाओं के अंक भी संग्रहीत हैं। इस संस्था द्वारा ' संबोधि' नाम की संशोधन पत्रिका प्रकाशित की जाती है। अभी तक इसके १८ अंक प्रकाशित हो चुके हैं। इस संस्था में चित्रमय ताडपत्रकी हस्तप्रतों के रंगीन फोटों की Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001431
Book TitleJain Agam Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages330
LanguagePrakrit, Hindi, Enlgish, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & agam_related_articles
File Size18 MB
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