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ऊणहत्तरिइमो संधि
स-विलक्खेहिं सिंधव-मारणेण अज्जुण-वाण-णिसिद्धएहिं। णिसि-झुज्झु पडीवउ मण्णियउ कुरुवेहिं वेहाविद्धएहिं ।।
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रयणिहे उहय-वलई सण्णद्धई उहय-वलइं लग्गग्गिम-खंधई उहय-वलई वल-विक्कम-सारइं उहय-वलइं किय-हण-हण-कारइं उहय-वलई उब्भिय-धय-चिंधई उहय-वलइं अइ-वेहाविद्धइं उहय-वलई वाइय-वाइत्तई उहय-वलई कोवग्गि-पलित्तइं उहय-वलइं तोरविय-तुरंगई उहय-वलई चोइय-मायंगई उहय-वलइं परिहिय-सण्णाहई उहय-वलइं हल-वाण-सणाहइं उहय-वलई सुर-महिहर-धीरइं उहय-वलई वण-विहुर-सरीरइं उहय-वलई रण-रहसुब्भिण्णई उहय-वलइं हणंति अणिविण्णइं
घत्ता तमु पसरिउ उद्धाइयउ रुहिर-महाणइ णीसरिय । जम-महिसहो फेणु मुयंतहो जीह णाई थिय दीहरिय॥
[२] उहओवास-वलइं तम-जालें पच्छाइयइं पडेण व कालें उहओवास-वलेहिं रउ धावइ रण-रक्खसु वस-लालसु णावइ उहओवास-वलइं रेल्लंती रत्त-तरंगिणि वहइ महंती उहओवास-वलइं रस-भरियइं णं रवि-विवई किरणावरियई उहओवास-वलइं रुहिरोल्लई णाई पलास-वणई पप्फुल्लई उहओवास-वलइं वहु-रुंडई ताल-मुंड-काणणइं व भंडई उहओवास-वलेहिं गय साडिय णं घण दइवें गयणहो पाडिय उहओवास-वलई सिय-छत्तई वसुमइ-गयइं णाई सयवत्तई
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