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रिट्ठणे मिचरिउ
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घत्ता
कुरु-पंडव-वीरेहिं णावइ विहिं मेहेहिं
छइय-सरीरेहिं वयणाहोय ण ल्हिक्कविय । सामल-देहेहिं रुंद-चंद दुइ दक्खविय ।।
वोल्लंति तावं णहे अच्छराउ एहु भीमसेणु एहु कुरुव-राउ णउ जाणहुं कवणु अजेउ मल्ल पेक्खहुं अणिरुवमु कोउहल्लु गय-घाएहिं आएहिं एक्कमेक्कु चूरेवउ तोसिउ जाम सक्कु अवरेक्कु पवुच्चइ जुवइ-विंदु मई थुत्थुक्कारिउ कुरु-णरिंदु अवरेक्कए वड्डिय-मच्छराए णिब्भच्छिय अच्छर अच्छराए किं पइंजे सुपत्तहं दाणु दिण्णु किं पई जे मत्ते तव-चरणु चिण्णु किं तुज्झु जे जोव्वणु वहु-वियारु किं तुज्झु जे सिरे धम्मिल्ल-भारु किं तुज्झु जे णयणइं दीहराइं किं तुज्झु जे अंगई मणहराई
घत्ता किं तुहुँ जे भुज्जइ एक्कहिं जुज्झइ सग्गे सहुं सग्गाहिवइ । जं अवरहिं वारहि थुत्थुकारहि अप्पुणु कुरुव-णराहिवइ॥
[४] तो णवर हक्कारिउ पंडु-पुत्तेण तव-तणय-जमलज्जुणाणंत-गुत्तेण अणवरय-वजंत-वाइत्त-संडेण उदंड-जमदंड-सम-लउडि-दंडेण अप्फोडणोरालि-वहिरिय-दियंतेण भू-भंग-भिउडी-पभेसिय-कयंतेण कोवग्गि-जालोलि-पजालियंगेण वल-चरण-संचार-चूरिय-भुवंगेण ४ विस-दाण-जउ-जलण-जूयावराहेण णव-रयसला-दोमइ-केस-गाहेण णिव्वास-वणवास-दूसह-किलेसेण मच्छोवसेवा-कयणण्ण-वेसेण भूभंग-वंधेण संधी-णिसंतेण उच्छण्ण-णीसेस-सामंत-रोहण आएण पावेण पाविट्ठ खद्धोसि कहिं जाहि वहुवेण कालेण लद्धोसि ८
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