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रिट्ठणे मिचरिउ
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तो सहसत्ति सत्ति उप्पाडेवि भीम-भुयंग-भुएहिं भमाडेवि मेल्लिय लउडि हिडिवा-कंतें जीह ललाविय णाई कयंतें णं सउदामिणि मेहहो होती धाइय महिहर-सिहरु दलंती तिह स-तुरंगु स-चिंधु स-चामरु भीम-गयए संचूरिउ रहवरु धायरठ घुम्माविउ घाएं
कड्डिउ मंडलग्गु स-कसाएं पंडु-सुएण-वि तहो करवालें । सिरु स-वाहु कमलु व सहुं णालें पाडिउ कउरव-जणहो णियंतहो । पंडव-लोयहो तूरइं दितहो तो भुव वे-वि भीम-उप्पाडिय पंचवीस जोयण ओरालिय रेहहिं णह-सुमणस णहे लग्गा णं तरु-साह दुवाएहिं भग्गा अवरु को-वि जो पर-तिय गंजइ सो दूसासणु जिम फलु भुंजइ कुरु-वलु णडु मुएवि आओहणु पहउ करेण सक्खि दुजोहणु
घत्ता रक्खसु जिह भीमु सीसु लेवि दूसासणहो। संइ भुय-जुयलेण दरिसावइ गरुडासणहो ।
इय रिट्ठणेमिचरिए धवलइयासिय-सयंभुएव-कए
बयासीइमो सग्गो॥
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