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चउसहिमो संधि घत्ता जइ रएवि थाणु संधाणु किउ वाणु-वि सज्जिउ धणु-गुणहो। कुरु-कालहो खंडव-डामरहो तो हउं सीसुण अज्जुणहो।
[८] पज्जलिय कोव-हुवासणउ कड्डिय-ससर-सरासणउ। णं गउ गयहो समावडिउ सच्चइ दोणहो अन्भिडिउ ॥
जाउ महाहउ विहि-मि भयंकरु चरणुच्चालण-चलिय-वसुंधरु रहवर-भग्गु भुवंगम-सेहरु हय-खुर-खय-खम-रय-चय-धूसरु दिट्ठि-मुट्ठि-संधाण-णिरंतरु धणु-टंकार-भरिय-भुवणंतरु ४ हुंकाराणिल-चालिय-महिहरु सरवर-णियर-णिवारिय-रवियरु इसु-णिहसग्गि-तिडिक्किय-णहयलु वार-वार-परिवड्डिय-कलयलु वार-वार-अप्फालिय-तूरउ वार-वार-पडिवक्ख-विसूरउ वार-वार-आमेल्लिय-मग्गणु वार-वार-तोसविय-सुरंगणु ८ वार-वार-विरइय-सर-मंडवु वार-वार-वण्णिय-कुरु-पंडवु
घत्ता पहरंतु ण भज्जए आहयणे एक्क-वि एक्कहो माण-सिह। वण-वेयण-चेयण-मुच्छणेहिं रणु परिवडिउ सुरउ जिह ।।
सीसायरिय रणंगणेण रहसाऊरिय-सुरयणेण । तालुय-वम्म-णिणासयरु पोमाइउ गंडीव-धरु ॥
तो संजमिया णिज्जिय-तोणे कहिं महु जाहि अज्जु गलगज्जेवि एम भणेवि वहु-मच्छर-भरिएं पुणु छहिं पुणु पडिवारिउ सत्तहिं तो सच्चइ सहस त्ति पलित्तउ
सिणि-णंदणु पच्चारिउ दोणे पत्थु-वि गउ काउरिसु व भज्जेवि पंचहिं सरेहिं विद्ध आइरिएं दसहिं थणंतरम्मि पुणु अट्ठहिं णं दवग्गि दुप्पवणे छित्तउ
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