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एक्सट्टिम संधि
लइय धर्णजएण णारा एहि इत्थिय - वेसढ-वावल्ले हिं अद्धयंद-वरसूयर- कण्णेहिं
दिट्टि - मुट्ठि - संघाणु ण दावइ विधइ एक्कु अणेय - विलासेहि साइणु णिरवसेसु लोट्टाविउ
रहगय-तुरय-जोह - जंपाणई
बहु कालहो किसि - कम्भु करतें
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सारहि विष्णवंतु घुर-धारा हय थक्कंति चलति ण चक्कई मग्गु ण ल भइ सिर- पाहाणेहि गय- गिरिवरेहिं महागुरु-काएहि रह - रुक्खेहिं पडिएहिं अदंडे हिं णं णर-झंखरेहिं भुय - डालेहिं रुहिरामिस-विमद्द-चिक्खिल्ले हि ताव विहंग - सिरेहिं सव फेडिय
तीरिय- तोमर -कण्णिय-घाएहिं बच्छदंत - खुरु - भल्लु (?) - भल्ले हिं आएहि अरेहि-मि बहु-बण्णेहिं
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भमइ अलाय - चक्कु धणु णावइ सर दीसंति णवर चउ-पासेहिं जंय वृहु सिवेहि वोट्टाविउ (?)
घता
पडियई वहुयई अप्परिमाणई । सूडिड वल्लरु णाई कयंते ॥
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वेण्ण वि-रह ण वर्हति भडारा कम्मई थियई होति ललक्कई पहरण- कंटएहि अ- पमाणेहि उद्ध- कवंध- खुट्ट- संघाएहि सोणिय-पूरायारिय-खंडे हिं
- कुसुमेहि अंगुलिय-पवाले हि चक्क - तुरंगेहि दुष्परियल्ले हि कहइ सु-खेडएहि रह खेडिय
घन्त्ता
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रु जगडइ माहउ जगडावइ
सर लिहंति गंडीउ लिहावइ ।
विधइ तुरय संख उवलिंगइ ( ? ) किं जमकरणहो मत्थए सिंगई ||९
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