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वत्थाहरण- माणिकई
जिह दुहियहे हि अवरह-मि
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मिलिय को ति णीय- धवहं
सव्व सई भुजिज्जह सुहई
धना
तो कुंतिहे सिरसा पणव तें दुमय - विराड-रिद स-गंदण अक्खोहणिउ तिण्णि तहिं अवसरे दीसइ यरि समुद्दासण्णी गंधहृद्रुय-वय-मालाउल अट्ठारह-कुल- कोडि-समिद्धी तहि ते दारावइ-पट्टणे
क-सरे पट्ट त्रेय ड-न
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कुंड-इंड-मायणई अणेय इं ।
दिई पत्थिवेण अपमेयई ||
णिय पडव दाखइ अणते
स- तुरं गम स-गद स णंदण मेलेत्रि पट्ट महुमह - पुरवरे गोउर
र- घर - पायार-रवण्णी
रिट्टणेमिचरिउ
*
वाल- जुवाण-विद्ध-जण- स कुल सुंदर सु-कइ-कह-व्त्र पसिद्धी दुद्दम-दय- देहदलवणे
दिण्णावास परिट्टिय पंडव
इय रिट्टणेमिचरिए ववलासिय सय भुत्र कए
बत्तीसमो परिसग्गो
धत्ता
धम्म- पुत्तु धम्महे फलु पत्तउ । स्वम-दम - विक्कम-य-स ंजुत्तउ ॥ ५
कुरुकंटं समत्तं ॥
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