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रिटणेमिचरिउ वीभच्छे पेसिय थरहर त णामेण सिलीमुह वज्जदंत ण आसीविस विसहर अणत णं दिणमणि-किरण-परिप्फुरत ते एंत णिवारिय कुद्धएण सरि-तणएं ताल-तरुद्धएण वाणेहि-मि वढ(?)-णामंकिरहिं चामीयर-पुखालंकिएहिं
धत्ता गंगेयहो दुट्ठ कलत्तु जिह धणु विह डाविउ अज्जुणेण ! जं मुट्टिहे मझे ण माइयउ जाउ तेण किं णिग्गुणेण ॥ १०
[८] णिट्ठविर सरासणे सरि-सुओ विरुद्धो ।
णं जुए गज्जिए धणे केसरी वि कुद्धो ॥ संगामे जासु देव वि अदेव धगु अवरु लयउ सु-कलत्तु जेव कोडीसरु गुणहरु सुद्ध-वंसु मग्गण-गण-संगम-दिण्ण-संसु सर-जाले छाइउ सत्वसाइ णव-जलहर-विंदे चंदु णाई ४ ण-वि दीसइ रहवरु ण-वि तुरंग ण-वि उत्तरु ण-वि धउ णउ पवंग वीभच्छे तं सर-जालु छिण्णु दस-टिसिहि विहंजेवि णाई दिण्णु गंगेयही पाडिउ आयवत्त ण ससहर-मंडलु धरणि पत्तु दोहाइउ घणु हय चक्क-रक्ख अवर-वि रह गयण-तुरय-लक्ख(?) ८ वच्छत्थले वाणेहिं दसहिं भिण्णु वामोहणु मोहण-सरेण दिण्णु
घत्ता तं थवेवि पियामहु णियय-रहे . सारहि कहि-मि समोसरिउ । जिह मत्त-गइंदु महागयो भिडिउ ताम दोणायरिउ ॥ १०
[९] सो सोवण्ण-संदणो कणय-कलस-इद्धो । सयल-कला-कलाव-विण्णाण-गुण-समिद्धो ॥
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