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गा० २२ ]
उत्तरपयडिपदेसविहत्तीए सामित्तं
सेस आउ अबंधवसेण णेरइएस उववण्णो तस्स पढमसमयउववण्णस्स उक्कस्सिया पदेविती । ति वेदागमुक० पदेसवि० कस्स ? जो पूरिदगुणिदकम्मं सिओ रइएस उववण्णो तस्स पढमसमय उववण्णणेरइयस्स उक्कस्सिया पदेसविहत्ती । एवं सत्तमार पुढवीए | गवरि सम्मत्तस्स सम्मामिच्छत्तेण सह उकस्ससामित्तं भाणिदव्वं ।
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$ १२५. पढमादि जाव छट्टि तिमिच्छत्त- सोलसक० - छण्णोक० उक्क० पदेसवि० कस्स ? जो गुणिदकम्मंसिओ सत्तमादो पुढवीदो उव्वट्टिदसमाणो संखेजाणि तिरिक्खभवरगहणाणि जीविदूण पुणो अप्पप्पणो णेरइएस उववण्णो तस्स पढमसमयउववण्णणेरइयस्स उक्कस्सिया पदेसविहती । सम्मत्त सम्मामि० उक्क० पदेस वि० कस्स १ सो चैव जीवो तोमुहुत्तेण सम्मत्तं पडिवण्णी तदो सव्बउक्कस्सेण पूरणकालेण सव्वजहणेण गुणसंकमभागहारेण सम्मत्त - सम्मामिच्छत्ताणि पूरेण तदो तिण्हमे गदर कम्मस्स उदए. पडिच्छदित्ति तस्स उवसम सम्मादिट्ठिस्स चरिमसमए वट्टमाणस्स उकस्सिया पसविहत्ती । तिन्हं वेदाणं णिरओघभंगो । पढमाए सम्मत्तस्स वि freओघभंगो ।
६ १२६. तिरिक्खेसु मिच्छत्त- सोलसक० छण्णोक० उक्क० पदेसवि० कस्स १ जो गुणिक मंसिओ रहओ सत्तामदो पुढवीदो उव्वट्टिदो तिरिक्खेसु उववण्णो तस्स
नारकियोंमें उत्पन्न हुआ उसके उत्पन्न होनेके प्रथम समय में सम्यक्त्व प्रकृतिको उत्कृष्ट प्रदेशविभक्ति होती है । तीनों वेदोंकी उत्कृष्ट प्रदेशविभक्ति किसके होती है ? जो गुणितकर्मा शवाला जीव वेदोंका उत्कृष्ट प्रदेशसंचय करके नारकियोंमें उत्पन्न हुआ उसके उत्पन्न होने के प्रथम समयमें वेदोंकी उत्कृष्ट प्रदेशविभक्ति होती है । इसीप्रकार सातवें नरक में जानना चाहिए, किन्तु इतनी विशेषता है कि सम्यक्त्व प्रकृतिका उत्कृष्ट स्वामित्व सम्यग्मिथ्यात्व के साथ कहना चाहिये | अर्थात् जिस तरहसे जिस जीवके नरकमें सम्यग्मिथ्यात्वका उत्कृष्ट स्वामित्व कहा है उसी प्रकार उसी जीवके सम्यक्त्व प्रकृतिका उत्कृष्ट स्वमित्व सातवें नरकमें कहना चाहिए ।
$ १२५. पहलेसे लेकर छठे नरक तक मिध्यात्व, सोलह कषाय और छह नोकषायकी उत्कृष्ट प्रदेशविभक्ति किसके होती है ? जो गुणितकर्मा शवाळा जीव सातवें नरक से निकलकर संख्यात भव तिर्यञ्चके धारण करके फिर अपने योग्य नरकमें उत्पन्न हुआ उसके नरक में उत्पन्न होने के प्रथम समय में उत्कृष्ट प्रदेशविभक्ति होती है । सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्व की उत्कृष्ट प्रदेशविभक्ति किसके होती है ? वही जीव अन्तर्मुहूर्त कालके द्वारा सम्यक्त्वको प्राप्त करे, फिर पूरण करनेके सबसे उत्कृष्ट कालमें सबसे जघन्य गुणसंक्रम भागहारके द्वारा सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वको प्रदेशोंसे पूर दे। उसके बाद तीनों प्रकृतियों में से किसी एकका उदय होगा इस प्रकार उस उपशमसम्यग्दृ ष्टके अन्तिम समय में उत्कृष्ट प्रदेशविभक्ति होती है । तीनों वेदोंके उत्कृष्ट प्रदेशविभक्तिका स्वामित्व सामान्य नारकियोंकी तरह होता है । पहले नरक में सम्यक्त्व प्रकृतिका भी उत्कृष्ट स्वामित्व सामान्य नारकियोंकी तरह होता है।
६१२६. तिर्यञ्चों में मिथ्यात्व, सोलह कषाय और छह नोकषायकी उत्कृष्ट प्रदेशविभक्ति किसके होती है ? जो गुणितकर्मा शवाला नारकी सातवें नरकसे निकलकर तिर्यों में
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