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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे . [पयडिविहत्ती २ चक्खुदंसण-ओहिदसण-सुक्कले०-सण्णि त्ति वत्तव्वं । मणुपज्जत्त-मणुसिणीसु विहत्ति० सव्वजीवाणं केवडिओ भागो ? संखेज्जा भागा। अविहत्ति० केवडिओ भागो ? संखेज्जदिभागो । एवं मणपज्जव०-संजदाणं वत्तव्यं । जहाक्खादेसु विहत्तिया सव्व. जीवाणं केवडिओ भागो ? संखेज्जदिभागो। अविहत्तिया संखेज्जा भागा।
६६. अवगदवेद० विहत्ति० सव्वजी० केव० ? अणंतिमभागो। अविहत्ति० स, सपर्याप्त, पांचों मनोयोगी, पांचों वचनयोगी, आभिनिबोधिकज्ञानी, श्रुतज्ञानी, अवधिज्ञानी, चक्षुदर्शनी, अवधिदर्शनी, शुक्ललेश्यक और संज्ञी जीवोंके भी कथन करना चाहिये।
विशेषार्थ-मनुष्यगतिमें मनुष्य जीव असंख्यात हैं। उनमेंसे बहुभाग मोहनीय कर्मसे युक्त हैं और असंख्यातेक भागप्रमाण क्षीणमोही जीव मोहनीय कर्मसे रहित है। मनुष्यों के अतिरिक्त ऊपर और जितनी मार्गणाएँ गिनाई हैं उनमें भी इसीप्रकार व्यवस्था जानना चाहिये । क्योंकि, उनमेंसे प्रत्येक मार्गणाका प्रमाण असंख्यात होते हुए भी असंख्यात बहुभागप्रमाण जीव मोहनीय कर्भसे युक्त हैं और असंख्यात एक भागप्रमाण क्षीणमोही जीव मोहनीय कर्मसे रहित हैं। ___मनुष्यपर्याप्त और योनिमती मनुष्यों में मोहनीय विभक्तिवाले जीव मनुष्य पर्याप्त और योनिमती मनुष्योंके कितने भागप्रमाण हैं ? संख्यात बहुभागप्रमाण हैं। मोहनीय अविभक्तिवाले जीव कितने भागप्रमाण हैं ? संख्यातवें भागप्रमाण हैं । इसीप्रकार मनःपर्ययज्ञानी और संयतोंका भी कथन करना चाहिये।
विशेषार्थ-पर्याप्तमनुष्य,योनिमतीमनुष्य,मनःपर्ययज्ञानी और संयत इन चारों राशियोंका प्रमाण संख्यात होते हुए भी इनमें मोहनीय कर्मसे युक्त जीव बहुत होते हैं और मोहनीय कर्मसे रहित जीव अल्प होते हैं। इसीलिये इन चारों स्थानोंमें मोहनीय विभक्तिवाले जीव संख्यात बहुभागप्रमाण और मोहनीय अविभक्तिवाले जीव संख्यातवें भागप्रमाण कहे हैं।
यथाख्यात संयतोंमें मोहनीय विभक्तिवाले जीव सब यथाख्यातसंयत जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? संख्यातवें भागप्रमाण हैं। मोहनीय अविभक्तिवाले जीव कितने भागप्रमाण हैं ? संख्यात बहुभागप्रमाण हैं।
विशेषार्थ-यथाख्यात संयम ग्यारहवें गुणस्थानसे चौदहवें गुणस्थान तक होता है । उसमें मोहनीय कर्मसे युक्त जीव ग्यारहवें गुणस्थानवाले ही होते हैं, शेष मोहनीयसे रहित है जो कि ग्यारहवें गुणस्थानवी जीवोंसे संख्यातगुणे हैं। इसीलिये ऊपर यह कहा है कि संख्यातवें भागप्रमाण मोहनीय विभक्तिवाले और संख्यात बहुभागप्रमाण मोहनीय अविभक्तिवाले यथाख्यातसंयत जीव होते हैं।
६६६. अपगतवेदियोंमें मोहनीय विभक्तिवाले जीव सर्व अपगतवेदी जीवोंके कितने भागप्रमाण है ? अनन्त एक भागप्रमाण है। मोहनीय अविभक्तिवाले जीव कितने भागप्रमाण
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