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________________ ११४ जयधवलासहित कषायप्राभूत ऋषि ऋषिभाषितानि [ ऋषभदेव केशरीमलजी संस्था रतलाम ] एपि० इ० एपिग्राफिका इंडिका श्रोधनि० प्रोधनियुक्ति [ आगमोदय समिति सूरत ] प्रोपनि० टी० प्रोपनियुक्ति टीका प्रौप० ) प्रौपपातिक सूत्र [ प्र० भूरालाल कालीदास शाह बम्बई ] औपपा० कर्म० अनु० ध० आ० कर्मअनुयोगद्वार, धवला आरा कर्मग्र० कर्मग्रन्थ [ आत्मानन्द सभा भावनगर ] कर्मप्र० उदय० कर्मप्रकृति उदयाधिकार [ मुक्ताबाई ज्ञानमन्दिर डभोई गुजरात । कल्पभा० बृहत्कल्पभाष्य बृहत्कल्पभा०,बृह० भा०॥ [ आत्मानन्द सभा भावनगर ] कल्पभा०पी० मलय० कल्पभाष्यपीठिका मलयगिरिटीका [ कल्पसू० कल्पसूत्र कल्पसूत्रस्थवि० कल्पसूत्रस्थविरावली कषाय पा० उपजोगा० कषायपाहड-उपयोगाधिकार कषाय पा० चू० कषायपाहुड चूणि काव्यानु० काव्यानुशासन [ श्वेताम्बर जैन कानफ्रेंस बम्बई । कृति० अनु० ध० आ० कृति अनयोगद्वार धवला आरा क्षणभंगसि० क्षणभंगसिद्धि [ रा० ए० सोसाइटी कलकत्ता गुज० जै० सा० इ० गुजराती जैन साहित्यनो इतिहास [ श्वे० जैन कान्फ्रेंस बंबई ] गुरुतत्त्ववि० गुरुतत्त्वविनिश्चय [ आत्मानन्द ग्रन्थमाला भावनगर ] गो० क० । गोम्मटसार कर्मकाण्ड [ जैन सिद्धान्त प्रकाशिनी संस्था कलकत्ता] गो० कर्म० गो० कर्म० जी० गोम्मटसार कर्मकांड जीव प्रबोधिनी टीका । गो० जीव० गोम्मटसार जीवकाण्ड गो० जीव० जी० गोम्मटसार जीवकांड जीव प्रबोधिनी टीका | " चरकस० चरकसंहिता [ निर्णयसागर बम्बई । चारित्रप्रा० चारित्रप्राभूत षटप्राभूतादिसंग्रहान्तर्गत [ मा० ग्रं० बम्बई 1 जम्बूप० जम्बद्वीपप्रज्ञप्ति लिखित | स्याद्वाद जैन महाविद्यालय बनारस । जयध० ० जयधवला की प्रति लिखित जैनसिद्धान्त भवन आरा ] जयध० प्र० जयधवला प्रेसकापी | जयधवला कार्यालय बनारस ] जीवट्ठा० कालाणु जीवट्ठाण कालाणुओग । जैनसाहित्योद्धारक फंड अमरावती ] जीवस० जीवसमास [ ऋषभदेव केशरीमलजी रतलाम ] जैनतर्क० जैनतर्कभाषा सिंघी जैन सीरीज़ कलकत्ता) जैनतर्कवा० जैनतर्कवातिक । लाजरस कम्पनी काशी ] जैनशिला० जनशिलालेखसंग्रह । माणिकचन्द्र ग्र० बंबई ] जैनेन्द्रमहा० जैनेन्द्रमहावृत्ति लाजरस कम्पनी काशी। जै० सा० इ० जैनसाहित्य और इतिहास हिन्दी ग्रन्थ रत्नाकर बंबई । जै० सा० सं० जैनसाहित्यसंशोधक | पूना जै० हि० जैन हितैषी तत्त्वसं० तत्त्वसंग्रह तत्त्वसं० पं० तत्त्वसंग्रह पंजिका तत्त्वानुशा० तत्त्वानुशासनादिसंग्रह । माणिकचंद्र ग्र० बंबई ] तत्त्वार्थश्लो०) तत्त्वार्थश्लोकवार्तिक [ गांधी नाथारंग ग्रन्थमाला सोलापुर ] त० श्लो० ॥ तत्त्वार्थ सू०॥ तत्त्वार्थसूत्र त० सू० त०भा० तत्त्वार्थाधिगमभाष्य [ आर्हतमत प्रभाकर कार्यालय पूना । त० भा० टी० । तत्त्वार्थाधिगमभाष्य सिद्धसेनत०सि० गणिटीका [ देवचन्द्र लालभाई सूरत ] [ बड़ौदा ओरियंटल सिरीज Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001407
Book TitleKasaypahudam Part 01
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorFulchandra Jain Shastri, Mahendrakumar Shastri, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year1944
Total Pages572
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Karma, H000, & H999
File Size14 MB
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