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१, १.] संत-परूवणाणुयोगद्दारे दंसण-आलाववण्णणं
[७११ चक्खुदंसण-मिच्छाइट्ठीणं भण्णमाणे अत्थि एयं गुणवाणं, छ जीवसमासा, छ पज्जत्तीओ छ अपज्जत्तीओ पंच पज्जत्तीओ पंच अपज्जत्तीओ, दस पाण सत्त पाण णव पाण सत्त पाण अट्ठ पाण छ पाण, चत्तारि सण्णाओ, चत्तारि गईओ, चउरिदियजादिआदी वे जादीओ, तसकाओ, तेरह जोग, तिणि वेद, चत्वारि कसाय, तिण्णि अण्णाण, असंजमो, चक्खुदंसण, दव्व-भावेहि छ लेस्साओ, भवसिद्धिया अभवसिद्धिया, मिच्छतं, सण्णिणो असण्णिणो, आहारिणो अणाहारिणो, सागारुवजुत्ता होंति अणागारुवजुत्ता वा"।
तेसिं चेव पज्जत्ताणं भण्णमाणे अत्थि एयं गुणट्ठाणं, तिण्णि जीवसमासा, छ पज्जत्तीओ पंच पज्जत्तीओ, दस पाण णव पाण अट्ठ पाण, चत्तारि सण्णाओ, चत्तारि गईओ, चउरिदियजादि-आदी वे जादीओ, तसकाओ, दस जोग, तिणि वेद, चत्तारि
चक्षुदर्शनी मिथ्यादृष्टि जीवोंके सामान्य आलाप कहने पर एक मिथ्यादृष्टि गुणस्थान, चतुरिन्द्रिय-पर्याप्त और अपर्याप्त, असंक्षीपंचेन्द्रिय-पर्याप्त और अपर्याप्त, संक्षीपंचेन्द्रिय-पर्याप्त और अपर्याप्त ये छह जीवसमास; छहों पर्याप्तियां, छहों अपर्याप्तियां पांच पर्याप्तियां, पांच अपर्याप्तियां दशों प्राण, सात प्राण; नौ प्राण, सात प्राण; आठ प्राण, छह प्राणः चारों संज्ञाएं, चारों गतियां, चतुरिन्द्रियजाति आदि दो जातियां, प्रसकाय, आहारककाययोगद्विकके विना तेरह योग, तीनों वेद, चारों कषाय, तीनों अज्ञान, असंयम, चक्षुदर्शन, द्रव्य और भावसे छहों लेश्याएं, भव्यसिद्धिक, अभव्यसिद्धिकः मिथ्यात्व, संक्षिक, असंशिकः आहारक, अनाहारक; साकारोपयोगी और अनाकारोपयोगी होते हैं।
उन्हीं चक्षुदर्शनी मिथ्यादृष्टि जीवोंके पर्याप्तकालसंबन्धी आलाप कहने पर एक मिथ्यादृष्टि गुणस्थान, चतुरिन्द्रिय-पर्याप्त, असंज्ञीपंचेन्द्रिय-पर्याप्त और संशीपंचेन्द्रिय पर्याप्त ये तीन जीवसमास, छहों पर्याप्तियां, पांच पर्याप्तियां; दशों प्राण, नौ प्राण, माठ प्राण; चारों संज्ञाएं, चारों गतियां, चतुरिन्द्रियजाति आदि दो जातियां, त्रसकाय, चारों मनोयोग, चारों वचनयोग, औदारिककाययोग और वैक्रियिककाययोग ये दश योग; तीनों वेद,
नं. ३८४ चक्षुदर्शनी मिथ्यादृष्टि जीवोंके सामान्य आलाप. | गु. जी. । प. | प्रा. सं. ग. | इ. का. यो. वे. | क.सा. संय. द. | ले. [म. स.संन्नि. आ.| उ. | | १६ च.प.६ प. १०,७४|४|२|१| १३ | ३/४/३ | १ | द्र.६|२| |२| २ २ मि. च. अ. ६ अ. ९,७ च. त्र. आ.द्वि. अज्ञा. असं. चक्षु. भा.६ म. मि. सं. आहा. साका. असं.प. ५ प.
अ. असं. अना. अमा. असं.अ. ५ अ. |सं. प. |सं. अ.
| विना.
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