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१, १.] संत-परूवणाणुयोगद्दारे इंदिय-आलाववण्णणं
[५७७ तेसिं चेव अपजत्ताणं भण्णमाणे अत्थि एयं गुणवाणं, एओ जविसमासो, पंच अपज्जत्तीओ, चत्तारि पाण, चत्तारि सण्णाओ, तिरिक्खगदी, वेइंदियजादी, तसकाओ, वे जोग, णवुसयवेद, चत्तारि कसाय, दो अण्णाण, असंजम, अचक्खुदंसण, दव्येण काउसुक्कलेस्साओ, भावेण किण्ह-णील काउलेस्साओ; भवसिद्धिया अभवसिद्धिया, मिच्छत्तं, असणिणो, आहारिणो अणाहारिणो, सागारुवजुत्ता हाँति अणागारुवजुत्ता वा।
एवं वीइंदिय-पञ्जत्तणामकम्मोदय-सहियाणं वीइंदियपज्जत्ताणं तिणि आलावा वत्तव्या । बेइंदिय-लद्धिअपजत्तणामकम्मोदय-सहिदाणं एगो आलावो वत्तव्यो।
तेइंदियाणं भण्णमाणे अत्थि एवं गुणहाणं, दो जीवसमासा, पंच पञ्जत्तीओ पंच अपजत्तीओ, सत्त पाण पंच पाण, चत्तारि सण्णाओ, तिरिक्खगदी, तीइंदियजादी,
उन्हीं द्वीन्द्रिय जीवोंके अपर्याप्तकालसंबन्धी आलाप कहने पर-एक मिथ्याष्टि, गुणस्थान, एक द्वन्द्रिय-अपर्याप्त जीवसमास, पांच अपर्याप्तियां, स्पर्शनेन्द्रिय, रसनेन्द्रिय, कायबल और आयु ये चार प्राण, चारों संज्ञाएं, तिर्यंचगति, द्वीन्द्रियजाति, सकाय, औदारिकमिश्रकाययोग और कार्मणकाययोग ये दो योग, नपुंसकवेद, चारों कषाय, कुमति और कुश्रुत ये दो अज्ञान, असंयम, अचक्षुदर्शन, द्रव्यसे कापोत और शुक्ल लेश्याएं, भावसे कृष्ण, नील और कापोत लेश्याएं: भव्यसिद्धिक, अभव्यसिद्धिका मिथ्यात्व, संक्षिक, आहारकअनाहारक; साकारोपयोगी और अनाकारोपयोगी होते हैं।
इसीप्रकारसे द्वीन्द्रियजाति और पर्याप्त नामकर्मके उदयवाले द्वीन्द्रिय पर्याप्तक जीवोंके सामान्य, पर्याप्त और अपर्याप्त ये तीन आलाप कहना चाहिए। द्वीन्द्रियजाति और लब्ध्यपर्याप्तक नामकर्मके उदयवाले द्वीन्द्रिय अपर्याप्तक जीवोंके एक अपर्याप्त आलाप ही कहना चाहिए।
. त्रीन्द्रिय जीवोंके सामान्य आलाप कहने पर-एक मिथ्यादृष्टि गुणस्थान, त्रीन्द्रियपर्याप्त और त्रीन्द्रिय-अपर्याप्त ये दो जीवसमास, मनःपर्याप्तिके विना पांच पर्याप्तियां, पांच अपर्याप्तियां पर्याप्तकालमें स्पर्शनेन्द्रिय, रसनेन्द्रिय, घ्राणेन्द्रिय, वचनबल, कायबल, आयु, और श्वासोच्छ्वास ये सात प्राण; अपर्याप्तकालमें उक्त सात प्राणोंमेंसे वचनबल और श्वासो
नं. १९४
द्वीन्द्रिय जीवोंके अपर्याप्त आलाप. । गु. जी. प. प्रा. | सं. ग. इं.का./ यो. | वे. क. ज्ञा. । संय. द. ले. भ. स. संशि. आ.
उ. ।
मि.द्वी. अ. अ.
द्वी. जा. ..
वस. -
औ.मि. कार्म.
कुम. असं. अचक्षु. का. म. मि. असं. आहा. साका. कुध.
| शु. अ. अना. अना. भा.३ अशु.
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