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१, १.] संत-परूवणाणुयोगद्दारे ओघालाववण्णणं
[४२५ पंच जादीओ, पुढवीकायादी छकाय, दस जोग, तिणि वेद, चत्तारि कसाय, तिण्णि अण्णाण, असंजभो, दो दंसण, दव्व-भारेहि छल्लेस्साओ, भवसिद्धिया अभवसिद्धिया, मिच्छत्तं, साण्णणो असण्णिणो, आहारिणो, सागारुवजुत्ता अणागारुवजुत्ता वा होति ।
तेसिं चेव अपजत्तोघे भण्णमाणे अत्थि एयं गुणहाणं, सत्त जीवसमासा, छ अपजत्तीओ पंच अपजत्तीओ चत्तारि अपज्जतीओ, सत्त पाण सत्त पाण छप्पाण पंच पाण चत्तारि पाण तिण्णि पाण, चत्तारि सण्णाओ, चत्तारि गदीओ, एइंदियजादि-आदी पंच जादीओ, पुढवीकायादी छक्काया, तिण्णि जोग, तिणि वेद, चत्तारि कसाय, विभंगणाणेण विणा दो अण्णाण, असंजमो, दो दंसण, दव्वेण काउ-सुक्कलेस्साओ, भावेण छ लेस्साओ; भवसिद्धिया अभवसिद्धिया, मिच्छत्तं, सणिणो असण्णिणो, आहारिणो
संज्ञाएं, चारों गतियां, एकोन्द्रियजाति आदि पाचों जातियां, पृथिवीकाय-आदि छहों काय, आहारकाद्विक और अपर्याप्तसंबन्धी तीन योगोंके विना दश योग, तीनों वेद, चारों कषायें, तीनों अज्ञान, असंयम, चक्षु और अचक्षु ये दो दर्शन, द्रव्य और भावसे छहों लेश्याएं, भव्यसिद्धिक, अभव्यसिद्धिक, मिथ्यात्व, संज्ञिक, असंक्षिक, आहारक, साकारोपयोगी और अनाकारोपयोगी होते हैं।
उन्हीं मिथ्यादृष्टि जीवोंके अपर्याप्त कालसंबन्धी ओघालाप कहने पर-एक मिथ्यात्व गुणस्थान, अपर्याप्तसंबन्धी सात जीवसमास, संज्ञीके छहों अपर्याप्तियां, असंज्ञी और विकलत्रयोंके पांच अपर्याप्तियां, एकेन्द्रियोंके चार अपर्याप्तियां, संशोके सात प्राण, असंज्ञीके सात प्राण, चतुरिन्द्रियोंके छह प्राण, त्रीन्द्रियोंके पांच प्राण, द्वीन्द्रियोंके चार प्राण, एकेन्द्रियोंके तीन प्राण; चारों संज्ञाएं, चारों गतियां, एकोन्द्रियजाति आदि पांचों जातियां, पृथिवीकायादि छहों काय, औदारिकमिश्र, वैक्रियकमिश्र और कार्मण ये तीन योग, तीनों वेद, चारों कषायें, विभंगावधिज्ञानके विना दो अज्ञान, असंयम, चक्षु और अचक्षु ये दो दर्शन, द्रव्यकी अपेक्षा कापोत और शुक्ल लेश्या, भावकी अपेक्षा छहों लेश्याएं, भव्यसिद्धिक, अभव्यसिद्धिक, मिथ्यात्व, संक्षिक, असंक्षिक, आहारक, अनाहारक, साकारोपयोगी और अनाकारोपयोगी होते हैं।
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नं. ५
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मिथ्यादृष्टि जीवोंके अपर्याप्त-आलाप. प. प्रा. सं. ग. ई. का | यो. वे. क. ज्ञा. | संय. द. ले. भ. | स. सनि । आ. उ. । ४.४ ५ ६ ३ ३४२१ २ द्र. २ २ १ २ २ । २
औ.मि. कुम. असं. चक्षु. का. म. मि. सं. आहा. साका. वै.मि. कुश्रु | अच. | शु. अभ. असं. अना. आना. कार्म.
भा.६
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