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________________ ३८० महाबंधे अणुभागबंधाहियारे मिच्छ० असं०गु० । केवलणा०-केवलदं०-विरियंत० तिण्णि वि तु० असं०गु० । असादा० विसे० । अणंताणु लोभे० असं०गु० । माया. विसे । कोधे० विसे० । माणे० विसे० । संजलणलोमे० असं गु० । माया० विसे० । कोधे विसे० । माणे० विसे० । पञ्चक्खाणलोभे० असं०गु०। माया. विसे । कोधे० विसे । माणे० विसे । अपचक्खाणलोभे० असंगु० । माया० विसे । कोधे० विसे० । माणे. विसे । आभिणि-परिभो० असं०गु० । चक्खु. असं०गु० । सुद०-अचक्खु०-भोगंत० असं०गु० । ओधिणा०-ओधिदं० लाभंत० असं०गु० । मणपज०-दाणंत० असं०गु० । थीणगि० विसे० । णवंस० असं०गु० । इत्थि० असं०गु० । पुरिस० असं०गु० । अरदि० असं०गु० । सोग० असं०गु० । भय० असं०गु० । दुगु० असं०गु० । णिद्दा यवसान स्थान असंख्यातगणे हीन है । इनसे औदारिकशरीरके अनुभागबन्धाध्यवसान स्थान असंख्यातगणे हीन है। इनसे मिथ्यात्वके अनुभागबन्धाध्यवसान स्थान असंख्यातगुणे हीन है। इनसे केवलज्ञानावरण, केवलदर्शनावरण और वीर्यान्तरायके अनुभागबन्धाध्यवसान स्थान तीनों ही तुल्य होकर असंख्यातगुणे हीन है। इनसे असातावेदनीयके अनुभागबन्धाध्यवसान स्थान विशेष हीन है। इनसे अनन्तानुबन्धी लोभके अनुभागबन्धाध्यवसान स्थान असंख्यातगुणे हीन है। इनसे अनन्तानुबन्धी मायाके अनुभागबन्धाध्यवसान स्थान विशेष हीन है । इनसे अनन्तानुबन्धी क्रोधके अनुभागबन्धाध्यवसान स्थान विशेष हीन है। इनसे अनन्तानबन्धी मानके अनुभागबन्धाध्यवसान स्थान विशेष हीन है। इनसे संज्वलन लोभके अनुभागबन्धाध्यवसान स्थान असंख्यातगुणे हीन हैं। इनसे संज्वलन मायाके अनुभागबन्धाध्यवसान स्थान विशेष हीन हैं। इनसे संज्वलन क्रोधके अनुभागबन्धाध्यवसान स्थान विशेष हीन है। इनसे संज्वलन मानके अनुभागबन्धाध्यवसान स्थान विशेष हीन है। इनसे प्रत्याख्यानावरण लोभके अनुभागबन्धाध्यवसान स्थान असंख्यातगुणे हीन है । इनसे प्रत्याख्यानावरण मायाके अनुभागबन्धाध्यवसान स्थान विशेष हीन है। इनसे प्रत्याख्यानावरण क्रोधके अनुभागबन्धाध्यवसान स्थान विशेष हीन है। इनसे प्रत्याख्यानावरण मानके अनुभागबन्धाध्यवसान स्थान विशेष हीन हैं। इनसे अप्रत्याख्यानावरण लोभके अनुभागबन्धा ध्यवसान स्थान असंख्यातगुणे हीन है । इनसे अप्रत्याख्यानावरण मायाके अनुभागबन्धाध्यवसान स्थान विशेष हीन है। इनसे अप्रत्याख्यानावरण क्रोधके अनुभागबन्धाध्यवसान स्थान विशेष हीन है। इनसे अप्रत्याख्यानावरण मानके अनुभागबन्धाध्यवसान स्थान विशेष हीन हैं। इनसे आभिनिवोधिकज्ञानावरण और परिभोगान्तरायके अनुभागबन्धाध्यवसान स्थान दोनोंके तुल्य होकर असंख्यातगुणे हीन है। इनसे चक्षुदर्शनावरणके अनुभागबन्धाध्यवसान स्थान असंख्यातगुणे हीन है। इनसे श्रुतज्ञानावरण, अचक्ष दर्शनावरण और भोगान्तरायके अनुभागबन्धाध्यवसान स्थान असंख्यातगुणे हीन है। इनसे अवधिज्ञानावरण, अवधिदर्शनावरण और लाभान्तरायके अनुभागबन्धाध्यवसान स्थान परस्पर तुल्य होकर असंख्यातगुणे हीन है। इनसे मनःपर्ययज्ञानावरण और दानान्तरायके अनुभागबन्धाध्यवसान स्थान परस्पर तुल्य होकर असंख्यातगुणे हीन हैं। इनसे स्त्यानगृद्धिके अनुभागबन्धाध्यवसान स्थान विशेष हीन है । इनसे नपुंसकवेदके अनुभागबन्धाध्यवसान स्थान असंख्यातगुणे हीन है। इनसे स्त्रीवेदके अनुभागबन्धाध्यवसान स्थान असंख्यातगणे हीन है। इनसे पुरुषवेदके अनुभागबन्धाध्यवसान स्थान असंख्यातगुणे हीन है। इनसे अरतिके अनुभागबन्धाभ्यवसान स्थान असंख्यात Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001392
Book TitleMahabandho Part 5
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorFulchandra Jain Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages426
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size11 MB
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