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________________ १४२ महाबंध अभागबंधाहियारे कोडाकोडिट्ठिदिबंधमाणो अंतोमुहुतं अणंतगुणाए वड्डीए वड्डिदण उकस्सयं दाहं गदो तदो उकस्सयं अणुभागं पबंधो तस्स उक्कस्सिया बड्डी। उक्कस्सिया हाणी कस्स.? यो उक्कस्सयं अणुभागं बंधमाणो मदो एइंदियो' जादो तप्पाओग्गजहण्णए पडिदो तस्स उक्कस्सिया हाणी । उकस्सयमवट्ठाणं कस्स० ? यो उक्कस्सअणुभागं बंधमाणो सागारक्खएण पडिभग्गो तप्पाओग्गजहण्णए पडिदो तस्स उक्कस्सयं अवट्ठाणं । एवं घादीणं । ३१३. वेद०' उक्क० वड्डो कस्स० १ खवग० सुहुससंप० चरिमे अणुभागबंधे वट्ट० तस्स उक० वड्डी । उक्क० हाणी कस्स० ? यो उवसामगो से काले अकसाई होहिदि त्ति मदो देवो जादो तस्स तप्पाओग्गजहण्णए पडिदो तस्स उक्क० हाणी । उक्क० अवट्ठाणं कस्स. ? अप्पमत्तसंज. अखवग० अणुवसामयस्स सव्वविसुद्धस्स अणंतगुणेण वड्विदण अवट्टिदस्स उकस्सगमवट्ठाणं । एवं णामा०-गोद० । आउ० [उक्क० ] वड्डी कस्स होदि ? तप्पाओग्गजहण्णगादो विसोधीदो तप्पाओग्गं उक्स्सगं विसोधिं गदो तदो उक्कस्सयं अणुभागं पबंधो तस्स उक० वड्डी । उक्क० हाणी कस्स० ? यो उक्कस्सयं अणुभागं बंधमाणो सागारक्खएण पडिभग्गो तप्पाओग्गजहण्णए जो चतुःस्थानिक यवमध्यके ऊपर अतःकोड़ाकोड़ि प्रमाण स्थितिको बांधता हुआ अन्तर्मुहूर्तकाल तक अनन्तगणी वृद्धिके साथ वृद्धिको प्राप्त होकर उत्कृष्ट दाहको प्राप्त हुआ और उसके बाद उत्कृष्ट अनुभागका बन्ध किया वह उत्कृष्ट वृद्धिका स्वामी है। उत्कृष्ट हानिका स्वामी कौन है ? जो उत्कृष्ट अनुभागका बन्ध करता हुआ मरा और एकेन्द्रियों में उत्पन्न होकर तप्रायोग्य जघन्य अनुभागबन्ध करने लगा वह उत्कृष्ट हानिका स्वामी है। उत्कृष्ट अवस्थानका स्वामी कौन है ? जो उत्कृष्ट अनु. भागका बन्ध करता हुआ साकार उपयोगका क्षय होनेसे प्रतिभग्न होकर तत्प्रायोग्य जघन्य अनभागबन्ध करने लगा वह उत्कृ! अवस्थानका स्वामी है। इसी प्रकार तीन घातिकों के विषयमें जानना चाहिये । ३१३. वेदनीयकी उत्कृष्ट वृद्धिका स्वामी कौन है ? जो क्षपक सूक्ष्मसाम्परायसंयत जीव अन्तिम अनुभागबन्धमें अवस्थित है वह उत्कृष्ट वृद्धिका स्वामी है। उत्कृष्ट हानिका स्वामी कौन है ? जो उपशामक तदनन्तर समयमें अकषायी होगा और मर कर देव हुआ और तत्यायोग्य जवन्य अनुभागबन्ध करने लगा वह उत्कृष्ट हानिका स्वामी है। उत्कृष्ट अवस्थानका स्वामी कौन है ? जो अप्रमत्तसंयत अक्षपक और अनुपशामक सर्वविशुद्ध जीव अनन्तगुणी वृद्धिको प्राप्त होकर अवस्थित है वह उत्कृष्ट अवस्थानका स्वामी है। इसी प्रकार नाम और गोत्रकर्मके विषयमें जानना चाहिये। आयकमकी उत्कृष्ट वृद्धिका स्वामी कौन है? जो तस्प्रायोग्य जघन्य विशुद्धिसे तत्प्रायोग्य उत्कृष्ट विशुद्धिको प्राप्त हुआ और तदनन्तर उत्कृष्ट अनुभागका बन्ध करने लगा वह उत्कृष्ट वद्धिका स्वामी है। उत्कृष्ट हानिका स्वामी कौन है ? जा उत्कृष्ट अनुभागका बन्ध करनेवाला जीव साकार उपयोगका क्षय होनेसे प्रतिभग्न होकर तप्रायोग्य जघन्य अनुभागका बन्ध करने लगा १ आ० प्रती एइंदिए इति पाठः । २ ता. मा. प्रत्योः तिण्णिवेद० इति पाटः। ३ ता. प्रती अणुवसामा (म) यस्स इति पाठः।, ता. प्रतौ विसोवि (धी) दो इति पाठः। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001391
Book TitleMahabandho Part 4
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorFulchandra Jain Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages454
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size11 MB
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