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________________ ३८० महाबंधे संखेजगुणा । बादर-एइंदिय-अपजत्तस्स सादस्स उक्कस्सिया बंधगद्धा संखेजगुणा । असादस्स उक्कस्तिया बंधगद्धा संखेजगुणा। सुहुम पञ्जत्तस्स सादस्स उक्कस्सिया बंधगद्धा संखेजगुणा । असादस्स उक्कस्सिया बंधगद्धा संखेजगुणा । बादर-एइंदिय-पज्जत्तस्स सो चेव भंगो । बेइंदिय-अपजत्तस्स सादस्स उक्कस्सिया बंधगद्धा संखेजगुणा । तेइंदियअपजत्तस्स सादस्स उक्कस्सिया बंधगद्धा विसेसाहिया । चदुरिंदिय-अपजत्तस्स सादस्स उक्कस्सिया बंधगद्धा विसेसाहिया । बेइंदिय-अपञ्जत्तस्स असादस्स उकस्सिया बंधगद्धा संखेजगुणा। तेइंदिय अपजत्तस्स असादस्स उक्कस्सिया बंधगद्धा विसेसाहिया । चदुरिंदिय-अपञ्जत्तस्स असादस्स उक्कस्सिया बंधगद्धा विसेसाहिया । एवं पञ्जत्तगेसु वि सादासादाणं णेदव्यं । पंचिंदिय-असण्णि-अपज्जत्तस्स सादस्स उकस्सिया बंधगद्धा संखेजगुगा । असाइस्स उक्कस्सिया बंधगद्धा संखेजगुणा । पंचिंदिय-सण्णि-अपज्जत्तस्स सादस्स उक्कस्सिया बंधगद्धा संखेजगुणा । असादस्स उक्कस्सिया बंधगद्धा संखेजगुणा। पंचिंदिय-असण्णिस्स पजत्तस्स सादस्स उक्कस्सिया बंधगद्धा संखेजगुणा । असादस्स उक्कस्सिया बंधगद्धा संखेजगुणा । पंबिंदिय-सण्णिस्स पज्जत्तस्स सादस्स उक्कस्सिया बंधगद्धा संखेज्जगुणा । असादस्स उक्कस्सिया बंधगद्धा संखेज्जगुणा । ३५०. चोद्दसणं जीवसमासाणं तिण्णि वेदाणं जहण्णिया बंधगद्धा सरिसा थोवा । सुहुम-अपज्जत्तस्स पुरिसवेदस्स उकस्सिया बंधगद्धा संखेज्जगुणा । इत्थिवेदस्स का उत्कृष्ट काल संख्यातगुणा है। बादर एकेन्द्रिय अपर्याप्तकमें साताके बन्धकका उत्कृष्ट काल संख्यातगुणा है। असाताके बन्धकका उत्कृष्ट काल संख्यातगुणा है । सूक्ष्म पर्याप्तकमें साताके बन्धकका उत्कृष्ट काल संख्यातगणा है। असाताके बन्धकका उत्कृष्ट काल सं गुणा है । बादर एकेन्द्रिय पर्याप्तकमें सूक्ष्म पर्याप्तकके समान भंग है। दोइन्द्रिय अपर्याप्तकमें-साताके बन्धकका उत्कृष्ट काल संख्यातगुणा है। त्रीन्द्रिय अपर्याप्तकमें-साताके बन्धकका उत्कृष्ट काल विशेषाधिक है। चौइन्द्रिय अपर्याप्तकमें साताके बन्धकका उत्कृष्ट काल विशेषाधिक है। दोइन्द्रिय अपर्याप्तकमें, असाताके बन्धकका उत्कृष्ट काल संख्यातगुणा है। त्रीन्द्रिय अपर्याप्तकमें, असाताके बन्धकका उत्कृष्ट काल विशेषाधिक है। चौइन्द्रिय अपर्याप्तकमें, असाताके बन्धकका उत्कृष्ट काल विशेषाधिक है। दोइन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चौइन्द्रियोंके पर्याप्तकोंमें, साता, असाताके बन्धकका काल पूर्ववत् जानना चाहिए। पंचेन्द्रिय-असंज्ञी-अपर्याप्तकमें-साताके बन्धकका उत्कृष्ट काल संख्यातगुणा है । असाताके बन्धकका उत्कृष्ट काल संख्यातगुणा है। पंचेन्द्रिय संज्ञो-अपर्याप्तकमें-साताके बन्धकका उत्कृष्ट काल संख्यातगुणा है। असाताके बन्धकका उत्कृष्ट काल संख्यातगुणा है। पंचेन्द्रिय असंज्ञी-पर्याप्तकमें साताके बन्धकका उत्कृष्ट काल संख्यातगुणा है। असाताके बन्धकका उत्कृष्ट काल संख्यातगुणा है। पंचेन्द्रिय-संज्ञी पर्याप्तकमें-साताके बन्धकका उत्कृष्ट काल संख्यातगुणा है । असाताके बन्धकका उत्कृष्ट काल संख्यातगुणा है । ३५०. चौदह जीव-समासोंमें-तीन वेदोंके बन्धकोंका जघन्य बन्धकाल समान रूपसे स्तोक है। सूक्ष्म-अपर्याप्तकमें-पुरुषवेदके बन्धकका उत्कृष्ट काल संख्यातगुणा है । स्त्रीवेदके Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001388
Book TitleMahabandho Part 1
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorSumeruchand Diwakar Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1998
Total Pages520
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size12 MB
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