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महाबंधे
पच्चक्खाणा ०४ बंधगा जीवा विसे० । कोध-सं० बं० जी० विसे० । माणसंज० बंध० जी० विसेसा० । मायासंज० बंध० जी० विसेसा० । लोभसंज० बंधगा जीवा विसे० | अबंध अनंतगुणा | मायासं० अबं० जीवा विसे० । माणसंज० अबं० जीवा विसेसा०| 1 कोधसंज० अ० जीवा विसे० । पञ्चक्खाणा ०४ अबं० जीवा विसे० । अपच्चक्खाणा ०४ अवं० जीवा विसेसा० । हस्सर दि-बंधगा जीवा थोवा । अदसोग-बंधगा जीवा संखेजगुणा । भयदु० बंध० जीवा विसे० । पुरिस-वे० बंधगा जीवा विसे० । अबंध अनंतगुणा । भयदु० अ० जीवा विसे० । अरदिसोग- अबं० जीवा विसे० । हस्रदि - अ० जी० विसे० | मणुसायुबंधगा जीवा थोवा । देवायु-बंधगा जीवा असंखेज्ज० । दोष्णं बंधगा जीवा विसे० । अबंध० जीवा अनंतगुणा | देवग दि-बं० जीवा थोवा | मणुसग दि-बंधगा जीवा असंखेज० । दोष्णं बंध० जीवा विसे० । अनं० अतगुणा । एवं दो आणुपुच्चि ० । आहारसरी० बंधगा जीवा थोवा । वेउब्वि० बंधगा जीवा असंखेज० । ओरालि० बंधगा जीवा असंखेज्ज० । तेजाक० बंधगा जीवा विसेसा० । अबंधगा जीवा अनंतगुणा । एवं तिण्णि अंगो० । थिरादि-तिष्णियुगलं
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अप्रत्याख्यानावरण ४ के बन्धक जीव स्तोक हैं। प्रत्याख्यानावरण ४ के बन्धक जीव विशेषाधिक हैं। क्रोध -संज्वलन के बन्धक जीव विशेषाधिक हैं। मान-संज्वलनके बन्धक जीव विशेषाधिक हैं । माया-संज्वलन के बन्धक जीव विशेषाधिक हैं। लोभ-संज्वलनके बन्धक जीव विशेषाधिक हैं। इसके अबन्धक अनन्तगुणे हैं । माया-संज्वलनके अबन्धक जीव विशेषाधिक हैं। मान-संज्वलनके अबन्धक जीव विशेषाधिक हैं। क्रोध -संज्वलन के अबन्धक जीव विशेषाधिक हैं। प्रत्याख्यानावरण ४ के अबन्धक जीव विशेषाधिक हैं । अप्रत्याख्यानावरण ४ के अबन्धक जीव विशेषाधिक हैं ।
हास्य, रतिके बन्धक जीव स्तोक हैं । अरतिशोकके बन्धक जीव संख्यातगुणे हैं । भयजुगुप्सा के बन्धक जीव विशेषाधिक हैं । पुरुषवेद के बन्धक जीव विशेषाधिक हैं। अबन्धक जीव अनन्तगुणे हैं । भय, जुगुप्साके अबन्धक जीव विशेषाधिक हैं। अरति, शोकके अबन्धक जीव विशेषाधिक हैं । हास्य, रतिके अबन्धक जीव विशेषाधिक हैं ।
बन्धक जीव स्तोक हैं । देवायुक्रे बन्धक जीव असंख्यातगुणे हैं। दोनों के बन्धक जीव विशेषाधिक हैं । अबन्धक जीव अनन्तगुणे हैं ।
विशेषार्थं - यहाँ नरकायु तथा तिर्यंचायुका कथन नहीं किया गया है, कारण नरकायुकी बच्छित्ति मिथ्यात्व गुणस्थानमें तथा तिर्यंचायुकी बन्धव्युच्छित्ति सासादन गुणस्थान में होती है ।
देवगतिके बन्धक जीव स्तोक हैं। मनुष्यगतिके बन्धक जीव असंख्यातगुणे हैं। दोनोंबन्धक जीव विशेषाधिक हैं । इनके अबन्धक अनन्तगुणे हैं ।
इसी प्रकार दो आनुपूर्वी ( देवमनुष्यानुपूर्वी ) में भी जानना चाहिए ।
आहारक शरीर के बन्धक जीव स्तोक हैं। वैक्रियिकशरीरके बन्धक जीव असंख्यातगुणे हैं । औदारिकशरीर बन्धक जीव असंख्यातगुणे हैं । तैजस, कार्मण के बन्धक जीव विशेषाधिक हैं । अवन्धक जीव अनन्तगुणे हैं। इसी प्रकार ३ अंगोपांगमें भी जानना चाहिए ।
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