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प्रकाशकीय
हम उन सभी बन्धुओं के आभारी हैं जिनकी कृपा या भावनाओं से यह ग्रन्थराज प्रकाश में आया और हमें भी घर बैठे दर्शनों और स्वाध्याय का पुण्य प्राप्त हुआ।
भार्गव प्रेस के मालिक पं. पृथ्वीनाथजी भार्गव भी धन्यवाद के पात्र हैं।
अयोध्याप्रसाद गोयलीय
मन्त्री
डालमियानगर, ५ मई, १९४७
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