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Xxxviii
VAJJĀLAGGAM
I give below only a few examples of deinfected nomina forms for each of the different nominal cases occurring in the Vajjalagga:
(a) Nominative :
मज्झं पइ (= पई) कोयंडो (208); जह चंचु (= चंचू कीररस (337); सुयणसमागम (= °समागमो) वग्गी (655); दंडो तह च्चिय ट्ठिय (= ठिओ) (683);जह सक्खर (= सवखरो) तुलई खली (769); कडिलम्ह पडिभाइ ( = कडिलं अम्ह पडिभाइ) (788); जं न दिट्ट (= दि) पञ्चवखं (90*7); उन्नय (- उन्नया) नीया (128).
(b) Accusative:
जा जा डाला ( = जं जं डालं) लंबई (124) (Laber's reading); सेवा ( = सेव) सुहं कुणउ (160); पुहवी (Laber's reading .( = पुह वि) निएइ (198); (Cf. st.. 485, पुहवी = पुहविं, Laber's reading). दसिया (= दसिय) वि समीहए चंदो (268); उन्भेउ अंगुली (Laber's reading)(= अंगुवि) (463); मसि ( = मसि) मलिऊण न याणसि (508); एण्हि विरहावत्था (= विरहावत्थं) पुणो वहंती (545) (Laber's reading); अन्नस्स देई दिट्ठी (Laber's reading) (दिदा) (577).
अप्पा ( = अप्पं) परं न याणसि (712) (Laber's reading); पेच्छह गंभीरिमा (= गंभीरिम) तस्स (751); अप्पा (= अप्प) देंतेण (758). जह सक्खर तुलइ खली (= खाल) (769). (c) Instrumental :
गयवई= गयवईए) भणियं (373); कजल (= कज्जलेण) भरिउण दो वि हत्थाई (490); आसंति संगमासा (= संगमासाए) (726); जीसे गिम्ह पिवासा (= गिम्हपिवासाए) वलंति (763).
(d) Locative:जह बीयदियह (=बीयदियहे) सविलक्खलक्खिए (325); अंचल ( = अंचले) गहिओ य कुप्पसे कोस (369); अकाल ( = अकाले) घणभद्दवं कुणइ (400); पत्थावे गोट्ठिठिय (= गोट्टिटिए) (794).
In the case of the second and third passages it is also possible to regard the deinflected word as forming a compourd with the following word.
(ii) Occasional use of declensional forms as in Apabhrari.sa
(a) Nominative and Accusative singular forms of masculine and neuter अ stems, ending in उ (HS. VIII.4.331 : स्यमोरस्योत्):
सूलादिन्नु (= सूलादिनो) व (50); मुरउ (= मुरओ) व (52); बाणु (= बाणो) का (53); जु (-जो) (234); फुडु (फुड) (479,793}; अणुदिणु (=अणुदि) (772).
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