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[ ५३ ]
प्रतिज्ञा
प्रभो वीर तेरा ही सुमरन करूंगा जगत में तेरे गीत गाता फिरूंगा ॥ध्रु.
१ चलूँगा सदा तेरे बतलाए पथपर । कदम एक तिलभर न पीछे धरूँगा ॥ २ अटल सत्य का मर्म लोगो से कहते । किसी भी न डर से जरा भी डरूंगा ॥ ३ रहूंगा अटल धर्म रक्षा के खातिर । बड़े हर्ष के साथ हँस हँस मरूंगा ।
४ तड़पता है कष्टो से सारा ही भारत । सभी द्वेष क्लेशों की पीड़ा हरूंगा ॥
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५ अविद्या के करण बने नर पशू से हृदय में अमर ज्ञान बिजली भरू गा ॥
संगीतिका
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