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श्री राम तर्ज-तोहिद का डंका आलम में बजवा दिया कमली वालोने श्री राम सा अन्य विदेशो में नर पुंगव कोई हुआ ही नहीं। देखें इतिहास सभी जग में इस कोटिका कोई हुआ ही नहीं
॥ ध्र. ।। १ बनवास लिया नहीं राज्य लिया ऋण मुक्त किया अपने
पितुको। समझाया सभी ने बहुतेरा निज प्रण से, किन्तु हटा ही
___ नहीं । २ सस्नेह सुधा ज्यों शबरी के बदरी फल झूठे खाये थे। पतितों के रहे अति ही प्रेमी, कुछ भेद का भाव रहा ही
नहीं। ३ सौन्दर्य वती अति शूर्पनखा, आई थी स्वयं पत्नी होने । फटकार दई नव यौवन में, तिल मात्र भी चित्त चला ही
- नहीं ॥ ४ दुःख भूल गये अपना तो सभी, सुग्रीव का संकट दूर किया। पर दुःख में अपने सुख दुःख का, कुछ भान कदापि रहा ।
ही नहीं। ५ अति प्रेम के साथ विभीषण को, दे आश्रय लंका राज्य
दिया। शरणागत के प्रति शत्रु या मित्र, यह तुच्छ विचार किया
ही नहीं। ६ प्राणों से पियारी सीता को बनवास दिया नहीं देर करी। आदर्श प्रजा - भक्ति का अमर इस जैसा कोई मिला ही
नहीं। ॥ इति. ॥
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