________________
[ २७ ] अजमेर - मुनि सम्मेलन
तर्ज हो जावो हो जावो कुर्वान होता है-होता है अजमेर, हमारा सम्मेलन ॥ध्र व. देश प्रदेश के मुनि आवेंगे, ज्ञान - मेघ नित वरसावेंगे। गर्जेगे ज्यो शेर ॥ हमारा ।। सम्प्रदाय और गच्छवाद की, शास्त्र, शिष्य और क्षेत्र वाद की, तज देंगे सबमेट | हमारा ।। दूध पानी सा प्रेम करेंगे, मैत्री भावना पुष्ट करेंगे। द्वेष दिलो से मेट । हमारा॥ संघ संप के नियम घड़ेंगे, फूटः दुर्गपर टूट पड़ेगे । कर देंगे ढम ढेर ॥ शिक्षण क्रम तैयार करेंगे, होकर सब विद्वान टेरेंगे। मिथ्यातम अंधेर । क्रिया काण्ड सब एक जुटेगा, अब पतन का मूल मिटेगा। देंगे ढोंग उखेर ।। जैन जाति अब उन्नत होगी, सबको मार्ग प्रदर्शक होगी। जरा न होगी देर । पृथ्वीचंद जिन धर्म दपा का, अमरचन्द्र जयवीर बुलाकर । देखें सतयुग फेर ॥
अजमेर मुनि सम्मेलन १६६०
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org