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________________ संकेतिका १. समन्वय - विरोधी युगलों का सह-अस्तित्व इसलिए कि उनमें समन्वय है । समन्वय इसलिए कि उनमें सर्वथा विरोध नहीं है । २. सर्वथा सदृश या सर्वथा विसदृश कुछ भी नहीं है । सर्वथा अस्ति या सर्वथा नास्ति कुछ भी नहीं है । ३. सादृश्य और असादृश्य समन्वित हैं । अस्तित्व और नास्तित्व समन्वित है । व्यक्त पर्याय को देखते हैं, अव्यक्त पर्याय को नहीं देखते, इसलिए भिन्न-भिन्न धारणाएं बनती हैं। ४. ५. ६. दो नय - निश्चय और व्यवहार । ७. ८. प्रवचन २ व्यक्त, अव्यक्त — दोनों को जान लें तो धारणाएं भिन्न होंगी । सूक्ष्म सत्यों को जानने के लिए निश्चय नय । स्थूल सत्यों को जानने के लिए व्यवहार नय । आत्मा और पुद्गल में केवल एक धर्म का अन्तर है । श्वास-दर्शन की प्रक्रिया से भीतर का नाद सुनाई देता है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001373
Book TitleAnekanta hai Tisra Netra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Discourse
File Size8 MB
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