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अनेकान्त है तीसरा नेत्र
कहा— कुछ समझे या नहीं ? शिष्य बोला - समझने जैसा इसनें था ही क्या ? बैलगाड़ियां निकली, इसलिए पानी गंदला हो गया । मिट्टी के जमते जमते अब पानी साफ और स्वच्छ हो गया। इसमें कोई रहस्य जैसी बात तो थी ही नहीं । गुरु ने कहा—यही समझना है कि जब विचारों की बैलगाड़ियां दिमाग में से गुजर कर शान्त हो जाती हैं तब चेतना शान्त हो जाती है । वह स्वच्छ हो जाती है । यह स्वच्छता ही अनुभव है । यह हमारी अनुभव - चेतना है । जब विकल्प और विचार शान्त होते हैं तब अनुभव की चेतना जागती है । जिस व्यक्ति ने ध्यान का अभ्यास नहीं किया, जिस व्यक्ति ने विचार और विकल्प को शांत करने की प्रक्रिया नहीं जानी उसकी चेतना कभी स्वच्छ और शान्त नहीं हो सकती । नदी से गुजरने वाली बैलगाड़ियां कितनी हैं ? किन्तु दिमाग में से विचारों की जितनी बैलगाड़ियां एक दिन में गुजरती हैं, उतनी बैलगाड़ियां सारे विश्व में भी नहीं हैं। विचारों और विकल्पों के रहते चेतना कैसे निर्मल हो, स्वच्छ हो ? यह तभी संभव है कि विकल्पों को रोका जाए। विचारों से हटकर निर्विचार रहना सीखें। विचारों और विकल्पों को रोकने का एकमात्र उपाय है ध्यान । ध्यान की गहराई में जाने पर ही यह संभव हो सकता है। ध्यान अनेकान्त के बिना नहीं हो सकता । अनेकान्तदृष्टि के बिना ध्यान की उपयोगिता भी नहीं बताई जा सकती और समग्र व्याख्या भी नहीं हो सकती । अनेकान्त में सब कुछ सम्भव
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अनेकान्त के जगत् में असंभव जैसा कुछ भी नहीं है । यह संभव है। बच्चों के लिए संभव है, युवकों के लिए संभव है और बूढ़ों के लिए भी संभव है । कभी-कभी मैं सोचता हूं कि शिविर में भाग लेने वाली कुछेक वृद्ध और अनपढ़ बहनें ध्यान की प्रक्रिया को, अभ्यास को कैसे पकड़ पाएंगी ? वे ध्यान का अभ्यास कैसे कर पाएंगी ? परन्तु जब उनके अनुभव सुनता हूं, ध्यान - काल के परिणामों को देखता हूं तो लगता है कि अनपढ़ बहनें जितनी दृढ़ता और सहजता से ध्यान -प्रक्रिया को पकड़ पाती हैं, उतनी स्पष्टता से पढ़ी-लिखी बहनें नहीं पकड़ पातीं । अन्तर् का मार्ग है ध्यान और अनुभव
ध्यान और अनुभव का मार्ग पुस्तकीय ज्ञान का मार्ग नहीं है। ध्यान का मार्ग जवानी और बुढ़ापे के साथ जुड़ा हुआ मार्ग नहीं है । यह अन्तर् का मार्ग है, अन्तर्जगत् मूल्यांकन का मार्ग है । जिस व्यक्ति ने अन्तर्जगत् का मूल्य आंक लिया, वह इस मार्ग से आगे बढ़ जाएगा। जिसने अन्तर्जगत् का मूल्यांकन नहीं किया, केवल परिस्थिति का ही मूल्यांकन किया है, वह इस मार्ग में आगे नहीं बढ़ सकता ।
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