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________________ 186 प्राकृतसर्वस्वम् । वृक्षे वश्चो 12. 19. वृक्ष वेन रुर्वा 1. 38. वृधो ड्रः 7. 75. वृन्ते ण्टः 3. 65. वृन्दे दस्य द्रः स्यात् 4. 54. वृश्चिके छः 3. 55. वृषादीनामुपान्तस्थ. 7. 53. वृषेर्वहः 18. 9. वेरिल्लः 7. 164. वेर्घटतेर्विछः 7. 109. वेदनादेवरकेसर एत इत् 1. 41. वे ब्वे वले च संबुद्धौ 8. 26. वेष्टतेश्च 7.71. वेः सूरः 7. 15. वेस्तु वा स्यात् 7. 39. व्यासादेर्यस्य रेफः स्यात् 17. 3. व्युत्पद्यतेर्विढप्पः 7. 28. ब्रजेवंचः 17. 70. ब्राचडो नागरात् सिध्येत् 18. 1. शसाम्भ्यां वो 9. 87. शसा णे च 5. 102. शसा वो च 5. 84. शाकल्यस्यात इन्मते 5.96. शाकारी चैव चाण्डाली. Intro. 6.. शादिशिरःस्थयोनणोर्हः 3. 61. शाबर्यामेवौड़ी योगात्० 15. 9. शावे छो न स्यात् 9. 33. शिफादौ फस्य भो भवेत् 2. 4. शीकरचन्द्रिकयोर्भमौ 9. 19. . शीधिरुदां सुभआरोवरोदाः स्युः 9. 141. शुषेस्तु वसुआषः 7. 139. शृणोत्यादेर्यका सुव्वाद्याः 11. 9.. शेषं तु प्राकृतवद् 20. 13. शेषं तु संस्कृतात् स्यात् 8. 33. शेषं शिष्टप्रयोगतः 17. 78. शेषादेशावनादौ द्विः 3. 69. शेषाणां स्याददन्तत्वम् 7. 101. शेषे द्वित्वमनाते दीर्घः स्यात् 4. 3. शौरसेनामिधा त्वस्याः 20. 1. शौरसेनी महाराष्ट्रयाः 9. 1. शौरसेन्या अदूरत्वाद् 12. 38. शौर्यार्यभार्याश्चर्ये वा 3. 23. श्वत्सप्सां छः स्यात् 3. 53. श्चिण्टो रिचश इत्येके 13. 3. श्मश्रुश्मशानयोरादिः 3.7. श्रद्धाञः सद्दहो भवेत् 7. 37. श्वादीनां सोच्छमादयः 6. 20. श्लक्ष्णस्य शलो क्रमत: 3. 9. श्लिष्टम्लिष्टक्रियारत्न 3. 77. शकटादौ ढः 2. 19. शकिलग्योर्द्विः 7. 84. शक्नोतेः सक्कुणसक्को 9. 131. शक्नोतेस्तरचअतीराः 7. 55. शचावुभावपि हरिश्चन्द्रे 3. 10. शतृशानयोतमाणौ 6. 17. शतृशानयोलुंग वा 6. 23. शदिपतोर्डः 7.74. शम्यादीनां वा 7. 85. शरदो दः स्यात् 4. 17. शषयोः सः 2. 44. शषोः सः 19. 3. शसा चाम्हे 9.90. षट्शावकसप्तपणे छः 2. 40. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orga
SR No.001369
Book TitlePrakritsarvaswam
Original Sutra AuthorMarkandey
AuthorKrushnachandra Acharya
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages424
LanguagePrakrit, Sanskrut, English
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size20 MB
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